हांगकांग पर चीन के थोपे कानून से क्यों डर रही है गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसी कंपनियां?

चीन ने गुपचुप तरीके से हांगकांग के लिए नया सुरक्षा कानून (न्यू सिक्योरिटी लॉ) लागू कर दिया। इसे इतना गुप्त रखा गया कि हांगकांग की चीफ एक्जीक्यूटिव तक को ड्राफ्ट पढ़ने को नहीं मिला। यह कानून एक जुलाई से लागू भी हो गया। हांगकांग के लोकतंत्र कार्यकर्ता और दुनियाभर के विशेषज्ञ इसे चीनी तानाशाही और हांगकांग के अस्तित्व पर संकट बता रहे हैं।

टिकटॉक ने कहा कि वह हांगकांग का मार्केट छोड़ देगा। वहीं, फेसबुक, ट्विटर और गूगल ने यूजर डेटा के संबंध में सरकारी रिक्वेस्ट का रिव्यू रोक दिया है। बीजिंग के नए सुरक्षा कानून को लेकर कंपनियां फ्री स्पीच और बिजनेस अवसरों में बैलेंस बनाने में लगी हैं। टेक्नोलॉजी कंपनियों का इस संबंध में रुख ही हांगकांग की पहचान का भविष्य तय करने वाला है। जानते हैं कि क्या है यह नया कानून और हांगकांग के लिए इसके क्या मायने हैं?

सबसे पहले, क्या है पूरा मामला?

  1. ब्रिटेन ने एक जुलाई 1997 को हांगकांग को चीन को सौंपा था। उस समय दोनों के बीच बहुत ही खास एग्रीमेंट हुआ था। इसमें तय हुआ था कि हांगकांग का एक मिनी संविधान होगा यानी बेसिक लॉ। वहीं, यह भी कहा गया था कि "वन कंट्री, टू सिस्टम" चलता रहेगा।
  2. एग्रीमेंट के तहत चीन को हांगकांग की आजादी को कायम रखना था। असेंबली और स्पीच की आजादी, स्वतंत्र ज्युडिशियरी और डेमोक्रेटिक राइट्स भी हांगकांग को देने थे। यह कुछ ऐसी बातें हैं जो आज भी चीन के मेनलैंड में लोगों के पास नहीं है।
  3. इसी एग्रीमेंट के तहत हांगकांग को अपना नेशनल सिक्योरिटी लॉ भी बनाना था। बेसिक लॉ के आर्टिकल 23 में इसे स्पष्ट किया गया था। लेकिन, हांगकांग कभी अपना कानून ही नहीं बना सका।
  4. इसके बाद पिछले साल एक्स्ट्रेडिशन लॉ बनाया तो इस पर प्रदर्शन हिंसक हो गए। यह आगे चलकर चीन-विरोधी और लोकतंत्र-समर्थक आंदोलन बन गया। चीन ऐसा दोबारा नहीं होने देना चाहता, इसलिए उसने सिक्योरिटी लॉ बनाकर लागू कर दिया है।

क्या है हांगकांग का नया कानून?
हांगकांग के नए नेशनल सिक्योरिटी लॉ में 66 आर्टिकल है। सात हजार से ज्यादा शब्द। सरकार विरोधी प्रदर्शनों को रोकने के सभी उपाय किए गए हैं। प्रदर्शन करने वालों पर सख्ती से दंड करने का प्रावधान रखा गया है। नए कानून के तहत सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचाना देश तोड़ने की साजिश माना जाएगा। ट्रांसपोर्ट रोकने को आतंकी गतिविधि माना जाएगा।

यदि इसकी वजह से सरकारी या प्राइवेट संपत्ति को या लोगों को नुकसान पहुंचता है तो उम्रकैद की सजा होगी। जो भी दोषी पाए जाएंगे उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी। यदि कानून के तहत कंपनियां दोषी ठहराई गई तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।

हांगकांग के नए कानून में चार गतिविधियों को अपराध बताया गया हैः

  1. सीसेशन यानी अलगावः देश से अलग करने की साजिश।
  2. सबवर्जन या तोड़फोड़ः सत्ता या केंद्र सरकार के अधिकारों का उल्लंघन।
  3. टेररिज्म या आतंकवादः लोगों के खिलाफ हिंसा या नुकसान पहुंचाना।
  4. कोलुजन या मेलजोलः विदेशी ताकतों से किसी भी तरह का मेलजोल।

हांगकांग के लिए इस कानून के क्या मायने हैं?

  1. ब्रिटिशर्स से आजाद होकर 22 साल पहले एक जुलाई को ही यह शहर चीन के अधीन आया था। इस हैंडओवर की 23वीं वर्षगांठ से एक घंटा पहले यानी 30 जून को रात 11 बजे यह नया कानून लागू हुआ।
  2. इससे हांगकांग की जिंदगी पूरी तरह बीजिंग के हाथ में आ गई। आलोचकों का कहना है कि यह कानून प्रभावी तरीके से प्रदर्शनों और फ्रीडम ऑफ स्पीच पर रोक लगाएगा। हालांकि, चीन के मुताबिक यह हांगकांग में स्थिरता लाएगा।
  3. बीजिंग हांगकांग में नया सिक्योरिटी ऑफिस खोलेगा। लॉ एनफोर्समेंट के अधिकारी उसके होंगे। लोकल अथॉरिटी की उन पर नहीं चलेगी। यह ऑफिस कुछ केस ट्रायल के लिए चीन भेजेगा।
  4. हांगकांग को बीजिंग के एडवाइजर को साथ लेकर कानून लागू करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी कमीशन बनाना होगा। हांगकांग के चीफ एक्जीक्यूटिव को नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े केस की सुनवाई के लिए जज अपॉइंट करने होंगे। इससे ज्युडिशियल स्वतंत्रता खत्म होने का डर रहेगा।
  5. सबसे महत्वपूर्ण, बीजिंग को यह अधिकार होगा कि इस कानून को कैसे स्पष्ट किया जाए। हांगकांग की कोई भी ज्युडिशियल या पुलिस बॉडी ऐसा नहीं कर सकेंगी। हांगकांग के कानून से कॉन्फ्लिक्ट होता है तो बीजिंग का कानून प्रभावी होगा।
  6. कुछ सुनवाई बंद कमरे में हो सकेंगी। जिन लोगों पर कानून तोड़ने का संदेह होगा, उनकी जासूसी की जा सकेगी। विदेशी गैर-सरकारी संगठनों और न्यूज एजेंसियों का मैनेजमेंट मजबूत किया जाएगा। यह कानून हांगकांग के अस्थायी नागरिकों के साथ-साथ बाहरी लोगों पर भी लागू होगा।

हांगकांग के लोग क्यों डरे हुए हैं?

  1. बीजिंग ने कहा है कि हांगकांग को नेशनल सिक्योरिटी कायम रखते हुए अपने अधिकारों और आजादी का सम्मान करना होगा।लेकिन, कई लोगों को डर है कि इस कानून की वजह से हांगकांग में आजादी छीन जाएगी।
  2. यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के लीगल स्कॉलर प्रोफेसर जोहानस चान ने बीबीसी से कहा, "यह स्पष्ट है कि नया कानून हांगकांग के लोगों की व्यक्तिगत सुरक्षा को नहीं लेकिन फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को बुरी तरह प्रभावित करेगा। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के क्रिमिनल सिस्टम को हांगकांग के कॉमन लॉ सिस्टम पर थोपा जा रहा है।"
  3. यह भी रिपोर्ट आ रही हैं कि लोग फेसबुक पर अपने पोस्ट डिलीट कर रहे हैं। उन्हें इस बात का डर है कि नेशनल सिक्योरिटी लॉ का विरोध करने पर उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जाएगा।
  4. जोशुआ वांग जैसे कुछ लोकतंत्र-समर्थक कार्यकर्ता विदेशी सरकारों के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश कर रहे थे। इस तरह के अभियान भविष्य में अपराध हो जाएंगे। उन्होंने अब डेमोसिस्टो पार्टी छोड़ दी है।
  5. लोगों को यह भी चिंता है कि नए कानून की वजह से हांगकांग की पहचान खो गई तो प्रमुख ग्लोबल बिजनेस हब और इकोनॉमिक पावरहाउस के तौर पर उसका आकर्षण भी प्रभावित हो सकता है।

क्या चीन नए कानून से हांगकांग के आंदोलनों को रोक लेगा?
हैंडओवर एग्रीमेंट में हांगकांग को आजादी की गारंटी दी गई थी, तो चीन वहां आंदोलनों को कैसे रोक लेगा? कई लोगों के दिमाग में यह प्रश्न उठ सकता है। बेसिक लॉ कहता है कि चीनी कानून हांगकांग में लागू नहीं होंगे। लेकिन, यदि एनेक्शचर-III में वह हैंतो उन्हें हांगकांग में लागू किया जा सकता है। इनमें ज्यादातर कानून ऐसे हैं, जो विदेश नीति से जुड़े हैं या विवादित नहीं हैं।

इन कानूनों को डिक्री के जरिये लागू किया जा सकता है। यानी शहर की संसद से पास किए बिना। आलोचकों का कहना है कि इस तरह कानून लागू करना "वन कंट्री, टू सिस्टम" प्रिंसिपल का उल्लंघन है। यह हांगकांग के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन टेक्निकली यह संभव है।

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के लॉ प्रोफेसर जेरोम ए. कोहेन ने कहा कि यह कानून हांगकांग को नए युग में लेकर जाएगा, जहां सिविल लिबर्टी पर लगाम कसी रहेगी और कम्युनिस्ट पार्टी की वफादारी को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाएगा।

गूगल, फेसबुक जैसी टेक्नोलॉजी कंपनियों को किस बात का डर है?
नए कानून की वजह से टेक्नोलॉजी के सामने दो ऑप्शन हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के थोपे नए डेटा-शेयरिंग और सेंसरशिप को स्वीकार करें या देश छोड़कर निकल जाएं। उनका फैसला हांगकांग के भविष्य में अंतरराष्ट्रीय बिजनेस हब बनने और डिजिटल फ्री स्पीच में निर्णायक होगा।

फेसबुक, ट्विटर, गूगल, टेलीग्राम, जूम और माइक्रोसॉफ्ट ने हांगकांग सरकार की ओर से आने वाली सभी डेटा रिक्वेस्ट पर जवाब देना बंद कर दिया है। वह अभी नए कानून का रिव्यू कर रहे हैं। ऐपल अब भी कानून का विश्लेषण कर रही है। फेसबुक के पास वॉट्सएप के साथ-साथ इंस्टाग्राम भी है और वह ह्यूमन राइट्स का विश्लेषण कर रहा है।

टिकटॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस चाइनीज है। लेकिन टिकटॉक चीन में नहीं है। उसने अपने आपको हांगकांग से पूरी तरह बाहर खींच लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि टेक्नोलॉजी कंपनियां अपने ऑपरेशंस को ताईवान ले जा सकती है या अन्य एशियाई लोकेशंस पर ले जा सकती हैं।

इससे पहले टेक्नोलॉजी कंपनियों ने चीन को कैसे दिया था जवाब?
ऐपल की बात करें तो वह चीन में सक्रिय रही है। सही मायनों में सिलिकन वैली की दिग्गज कंपनियों में वह अकेली है, जिसे चीन में ब्लॉक नहीं किया गया है। उसका मैन्यूफेक्चरिंग बेस चीन में है और बड़ी संख्या में ग्राहक भी। हाल ही में उसने हांगकांग सरकार के कहने पर प्रदर्शनकारियों के इस्तेमाल में आ रहे ऐप को हटाने में भी जल्दबाजी दिखाई थी। इतना ही नहीं पिछले साल ताईवान के झंडे को हांगकांग में इमोजी से बाहर निकाल फेंका था।



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Why are companies like Google, Facebook, Twitter afraid of China's imposition of law on Hong Kong?


source https://www.bhaskar.com/national/news/why-are-companies-like-google-facebook-twitter-afraid-of-chinas-imposition-of-law-on-hong-kong-127504031.html

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