क्या नीमच - सिंगोली - कोटा रेल लाइन को इस बजट सत्र में भी मिलेगा ठेंगा या सांसद सुधीर गुप्ता की होगी सुनवाई?


इब्राहीम बोहरा। नीमच - सिंगोली - कोटा रेल लाइन एक बहुप्रतीक्षित रेल लाइन है जिसकी मांग जावद विधानसभा क्षेत्र से करीब 50 वर्षों से उठाई जा रही है। इस लाइन की स्वीकृति वर्ष 2014 के बजट में तत्कालीन सांसद मीनाक्षी नटराजन जी द्वारा दिलाई गई और रेल मंडल ने इसके सर्वे के लिए लगभग 4 वर्ष का समय भी पूरा किया। सर्वे का फसाना किसी ट्रेजेडी फिल्म से कम नहीं जैसे कि सर्वे गलत रेल मंडल को आवंटित कर दिया जाता है, क्या रेल मंत्रालय को इतनी छोटी सी बात भी समझ नहीं आती।

पर जब आखिरकार सर्वे पूरा कर लिया जाता है तो इस परियोजना को ट्रैफिक की कमी बता कर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है, जबकि हजारों लोग इस रेल परियोजना से वंचित होने की वजह से सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते रहे हैं। नागरिकों ने कई बार इसकी खातिर आवाज बुलंद की, लेकिन हर बार की तरह मुद्दा व जनता की सुविधा को दरकिनार कर दिया गया।

सर्वे में बताया जाता है कि इस रेल लाइन को डालने में जितना खर्च आएगा उसकी रिकवरी के लिए पर्याप्त ट्रैफिक की कमी है, जबकि देखा जाए तो वर्तमान में कोटा जाने के लिए वाया चित्तौड़गढ़ और बूंदी होते हुए जाना पड़ता है जिसकी कुल दूरी 225 किलोमीटर हो जाती है और 5-6 बड़े स्टेशन ही बीच में आते है और अगर यही लाइन सीधे नीमच से वाया सिंगोली और रावतभाटा होते हुए जाए तो दूरी मात्र 140 किलोमीटर रह जायेगी और 5-6 बड़े स्टेशन इस लाइन के बीच में भी आयेंगे।

रही बात खर्च को कम करने की तो इसका एक समाधान यह भी है कि उपर्युक्त रेल मार्ग को नीमच - सिंगोली - कोटा की बजाय जावद रोड - सिंगोली - रावतभाटा - कोटा के रास्ते बनाया जाए।

दरअसल नीमच - निमाबहेड़ा रेल मार्ग के मध्य जावद रोड स्टेशन के पास से एक लाइन दोनो ट्रैक को कनेक्ट करती हुई विक्रम सीमेंट वर्क्स, खोर तक जाती है, जिसकी नीमच से दूरी करीब 17 किलोमीटर है। हालांकि यह लाइन विक्रम सीमेंट वर्क्स की निजी बताई जाती है किंतु रेल मंडल चाहे तो इसे अधिग्रहित कर सार्वजनिक इस्तेमाल में ले सकता है या इसके पैरेलल एक और लाइन बिछा सकता है जिसकी जावद रोड स्टेशन से कुल दूरी 5 किलोमीटर है।

अब चूंकि नीमच से कोटा की दूरी वाया नए रेलमार्ग करीब 140 किलोमीटर मानी जा रही है जो कि वर्तमान में 225 किलोमीटर है तो इस नए संशोधन के ज़रिए 10 - 15 किलोमीटर की दूरी और कम हो जायेगी जिससे शासन का 10 - 15 किलोमीटर लाइन बिछाने का खर्च और कम हो जायेगा, और कोटा की कुल दूरी अब 125 किलोमीटर ही रह जायेगी।

लेकिन यदि फिर भी इस लाइन के पास होने के 10 वर्ष बाद और सर्वे पूरा होने के 6 वर्ष बाद भी अगर इस परियोजना के लिए इस बजट में कोई रकम पास नहीं होती है तो इसे सांसद सुधीर गुप्ता जी की नाकामयाबी माना जायेगा या फिर उनकी नीमच जिले के प्रति भेदभाव की भावना। और तो और हो सकता है कि यही एक मुद्दा सांसद सुधीर गुप्ता जी की नैय्या ले डूबे क्योंकि जिस तरह से देश में मोदी फैक्टर हावी है तो सरकार तो भाजपा की बननी ही है इसलिए जनता चाहे तो इस एक सीट को क्षेत्रीय विकास के लिए हरा भी सकती है।

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