बड़ी सादड़ी नीमच रेल लाइन का विस्तार जावद तक किया जाए।


इब्राहिम बोहरा।
नीमच।  रतलाम रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले नीमच - बड़ी सादड़ी रेल लाइन की मंजूरी 2017 में रेलवे ने की थी। इस परियोजना के अंतर्गत अभी भूमि अधिग्रहण का कार्य जारी है जिसका सर्वे भारत के राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है। यह रेल लाइन 48 किमी लंबी है जिसमें मप्र का हिस्सा मात्र 9 किमी और शेष हिस्सा राजस्थान में आना है। इस मार्ग की कुल लागत 474 करोड़ है यानी की लगभग 10 करोड़ प्रति किलोमीटर जिसमें से इस परियोजना के लिए पिछले बजट सत्र में 150 करोड़ की राशि प्रदान की गई है। इसके साथ है ये भी जान ले की ये परियोजना केंद्र सरकार की फास्ट्रैक योजनाओं में भी सम्मिलित है।

अब मुद्दे की बात ये है की मध्य प्रदेश की आखरी विधानसभा सीट यानी कि जावद विधानसभा आज़ादी के बाद से ही लगातार भेदभाव का शिकार बनती आई है। चाहे वो केंद्र सरकार की परियोजना हो या राज्य सरकार की, जावद की झोली में कभी कुछ नहीं आता। विडंबना तो ये है कि जावद विधानसभा ने मध्य प्रदेश को एक मुख्यमंत्री और कई बार कैबिनेट मंत्री भी दिए है किंतु फिर भी जावद वही का वही है। और मैं ये शब्द बेवजह नहीं लिख रहा हूं बल्कि इसके पीछे एक ठोस वजह है, जावद की जनगणना 2001 और 2011 के आंकड़ों में कोई विशेष अंतर नहीं आया है जबकि समीपस्थ नीमच और निंबाहेड़ा की आबादी 4-5 गुना बढ़ चुकी है।

स्वाभाविक है की आबादी बढ़ने के साथ साथ व्यवसाय भी बढ़ता है और इसका एक बड़ा श्रेय रेलवे लाइन को जाता है। वर्षों से क्षेत्रवासी नीमच - जावद - सिंगोली - रावतभाटा - कोटा रेलवे लाइन की मांग को उठाते आ रहे है जिसे आज 40 से भी अधिक वर्ष हो जायेंगे, जिसकी मंजूरी सांसद मीनाक्षी नटराजन जी ने दिलवाई थी वो भी अभी ठंडे बस्ते में पड़ी है। ऐसे में अगर बड़ी सादड़ी - नीमच रेल लाइन को जावद तक का एक्सटेंशन मिल जाए तो हो सकता है क्षेत्र का पिछड़ापन दूर हो जाए।

यदि बड़ी सादड़ी - नीमच रेल लाइन का विस्तार जावद तक किया जाता है तो इसके मध्य वर्तमान में चंगेरा के समीप 300 करोड़ की लागत से बन रही नीमच की नई कृषि उपज मंडी भी रास्ते में आएगी। यदि इस मंडी को रेल से कनेक्टिविटी मिलती है तो इसकी वजह से मध्य प्रदेश की इकोनॉमी को अत्यधिक फायदा होगा। आपको बता दूं की नीमच कृषि उपज मंडी मध्य प्रदेश की टॉप 10 मंडियों में शामिल है तथा यह राज्य की सबसे बड़ी औषधीय मंडी भी है।

इतना ही नहीं यदि इस लाइन को जावद तक एक्सटेंड किया जाता है तो भविष्य में नीमच सिंगोली कोटा रेल लाइन की लागत में भी कमी आयेगी, चूंकि नीमच से जावद तक 12 किलोमीटर का रेल मार्ग समय रहते इस परियोजना के साथ बन चुका होगा। अगर आंकड़ों की माने तो इसका खर्च तकरीबन 100 से 120 करोड़ आने का अनुमान है और केंद्र सरकार के लिए यह राशि कोई बड़ी बात नहीं है।

वैसे अगर देखा जाए तो जावद रोड से आदित्य बिरला ग्रुप की विक्रम सीमेंट वर्क्स, खोर तक रेल लाइन बिछी हुई है, जहां से जावद की दूरी कुल 5 किलोमीटर ही रह जाती है। यदि सरकार इस और ध्यान देती है तो बड़ी सादड़ी नीमच परियोजना को जावद तक एक्सटेंड करने में मात्र 50 करोड़ का ही खर्च आएगा। जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस और आकर्षित करने के लिए जावद की जनता को जागरूक होकर येन केन प्रकारैन प्रयास करने होंगे, सभी पत्रकारों और समाजजनों को इस मुद्दे को बढ़ावा देना होगा। चुनावी साल है, राज्य और केंद्र दोनो के ही चुनाव करीब है तो हो सकता है कि इस मांग की सुनवाई भी हो जाए।

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जय भारत।
जय जावद।

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