इब्राहीम बोहरा।
नीमच। आज से ठीक 4.75 वर्ष पूर्व बिलकुल लोकसभा चुनाव के पहले सारे अखबारों में एक खबर छपी थी जिसका शीर्षक था "बांसवाड़ा-कोटा नेशनल हाईवे मनासा-जावद के 52 गांवों से गुजरेगा"। इस खबर में बताया गया था कि नीमच-मंदसौर जिले से निकलने वाले बांसवाड़ा-कोटा नेशनल हाईवे की तैयारियां चल रही हैं जिसकी कुल लंबाई 183 km है जिसमें 115 km हिस्सा मध्य प्रदेश में और 68 km हिस्सा राजस्थान में आता है। इसमें मनासा तहसील के 23 और जावद के तहसील के 29 गांव शामिल हैं। हाईवे का नक्शा भी तैयार हो रहा है और केंद्र सरकार नेशनल हाईवे के लिए इस साल में बजट में राशि जारी कर सकती है।
इन खबरों में बताया गया था कि कैसे 14 मार्च 2016 को सांसद सुधीर गुप्ता जी ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी से
मिलकर मांग रखी थी। 4 अप्रैल 2016 को केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कार्रवाई के
लिए एनएच के मुख्य अभियंता योजना सुदीप चौधरी को कहा। 19 सितंबर 2017 को
नई दिल्ली में मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में राजमार्ग को राष्ट्रीय
राजमार्ग बनाने की मंजूरी प्रदान की गई।
साथ ही साथ सभी 52 गांवों की लिस्ट भी संलग्न की गई थी जहां से यह राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरना था और यह भी बताया गया था कि इसमें मंदसौर जिले के भी 30 गांव प्रभावित होंगे। इसकी अत्यधिक जानकारी के लिए आप गूगल पर सर्च कर सकते हैं और साथ में यहां लिंक भी संलग्न की हुई है : बांसवाड़ा-कोटा नेशनल हाईवे मनासा-जावद के 52 गांवों से गुजरेगा
मुद्दे की बात यह है कि जब नितिन गडकरी जी टीवी पर छाती ठोक ठोक कर कहते है कि आज हम एक दिन में 30 km नेशनल हाईवे बना रहे हैं तो फिर 183 km लंबे इस नेशनल हाईवे को बनने में तो मात्र 6 दिन ही लगने थे। लेकिन 6 दिन तो ठीक है 6 वर्ष बीत गए फिर भी अभी तक इस राजमार्ग का कोई अता पता ही नहीं है। ना कोई नक्शा बना, ना डीपीआर, ना कोई भूमि अधिग्रहित हुई और ना ही कहीं पर सड़क बनती दिखाई दी। आज यह बात शायद किसी को याद भी नहीं होगी क्योंकि 5 वर्ष में इन अखबार वालों ने भी कभी इसका कोई पृष्ठ खोल कर नहीं देखा।
क्या यह मान लिया जाए कि यह योजना चुनाव जीतने भर की घोषणा मात्र थी? या फिर यह कल्पना की जाए की जमीन के भीतर इसे एक हाई स्पीड टनल के रूप में निर्मित किया जा रहा है और आगामी भविष्य में किसी भी क्षण इसका लोकार्पण माननीय सांसद सुधीर जी गुप्ता के करकमलों द्वारा कर दिए जायेगा। यह बात शायद आपको हास्यास्पद लग रही होगी किंतु असल में यह एक गहन चिंतन का विषय है। क्या जनता इतनी मूर्ख है कि उसे हर बार किसी न किसी योजना का लोलीपॉप दे कर समझा दिया जाता है? या फिर वो हिटलर के कहे मुताबिक 2 वक्त की रोटी और तन ढकने को कपड़ा मिल जाए उसे ही विकास समझने लगी है।
इस लेख के माध्यम से मैं उन जिम्मेदार नेताओ और अधिकारियों को याद दिलाना चाहता हूं कि आज वो जिस जगह पर है, इसी जनता जनार्दन की वजह से है और यदि ऐसी खोखली घोषणाओं की पोल खुलती गई तो हो सकता है उन्हें अपने स्थान से हांथ गवाना पड़े। अथवा उनके पास एक अच्छा विकल्प यह है कि जो घोषणाएं की गई है उन पर तत्काल प्रभाव से अमल हो और बांसवाड़ा - कोटा नेशनल हाईवे का निर्माण अतिशीघ्र शुरू किया जाए।
Kota banswada National Highway ka karya tatkal shuru hona chahie
जवाब देंहटाएंRoad ka kam kab tak chalu hoga
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