मूसलाधार बारिश के बाद शिमला ने ओढ़ी बादलों की चादर, मध्य प्रदेश में कीचड़ भरे रास्ते पर बैलगाड़ी से किताबें लेकर स्कूल पहुंचा एक शिक्षक

शिमला समेत प्रदेश के चार जिलों में बीते 24 घंटे के दौरान जिला शिमला, सोलन, मंडी, सिरमौर और चंबा में मूसलाधार बारिश हुई। इससे तापमान में गिरावट आने से लोगों को भी उमस भरी गर्मी से काफी राहत मिली है।भारी बारिश के कारण सोलन में एक काऊशैड को नुकसान पहुंचा है और शिमला में तारादेवी के पास लिंक रोड बंद हुआ है। बारिश के बाद मौसम सुहावना हो गया और शिमला शहर ने बादलों को चादर ओढ़ ली।

कीचड़, दो पहिया वाहन नहीं पहुंच सकता स्कूल

मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बरेली में बच्चों के भविष्य बनाने के लिए शिक्षकों को अब बैलगाड़ी से सफर करना पड़ रहा है। खमरिया गांव से प्राथमिक शाला सालेगढ़ तक पहुंचने वाला रास्ता कच्चा होने से कीचड़ में तब्दील हो गया है, ऐसी स्थिति में कच्चे रास्ते में दो पहिया वाहन चलाना मुश्किल है। ऐसी स्थिति में शिक्षक नीरज सक्सेना को बच्चों को बांटे जाने वाली किताबों को बैलगाड़ी में रखकर स्कूल लाना पड़ी।

शिक्षक ने संकुल केंद्र से किताबें उठाने के बाद वह उन्हें ऑटो से लेकर खमरिया गांव पहुंचा। यहां पर गांव से बैलगाड़ी बुलवाई, फिर उसमें किताबों को रखकर गांव पहुंचा। स्कूल में 94 बच्चे अध्ययनरत है, जिनमें से 85 बच्चों को किताबें बांटी गई।

घर को गोदाममें किया तब्दील

फोटो राजस्थान के अलवर की है। बरसाती मौसम में प्याज को हवा भी चाहिए और पानी से भी बचाना है। इसलिए चार महीने के लिए किसानों के घर ही गोदाम बन जाते हैं। दरअसल, जनवरी में प्याज के कण यानी बीज को खेतों में बोया जाता है। इसलिए किसान अप्रैल में इससे बनी पौध को खेतों से निकालकर घरों में ले आते हैं।

साथ ही प्याज की गंठी (सूखे प्याज की गठान) बनाकर कमरों और दीवारों पर लटका देते हैं ताकि इनको हवा लगती रहे। फिर अगस्त में इन्हें खेतों में बोया जाता है, जिसके बाद दीपावली के आसपास ये प्याज बनकर तैयार हो जाती है। फिर किसान इन्हें बेचने के लिए मंडी ले जाते हैं।

मंडप में अचानक पहुंची प्रेमिका तो दूल्हे ने दोनों से रचाई शादी

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के बगडोना में मंगलवार को एक दूल्हे ने दो दुल्हनों के साथ फेरे ले लिए। दरअसल, गांव के संदीप उइके की शादी होशंगाबाद की लड़की से हो रही थी। इस दौरान कतिया कोयलारी गांव में रहने वाली उसकी प्रेमिका भी मौके पर पहुंच गई। हंगामे के बाद आदिवासी समाज की पंचायत बैठी और सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। घोड़ाडोंगरी जनपद उपाध्यक्ष मिश्रीलाल परते ने इसकी पुष्टि की है।

कोरोना काल:मास्क और सोशल डिस्टेंसिंगकी अनदेखी

मध्यप्रदेश के श्योपुर में बुधवार को बाजार में जिला मुख्यालय पर एक ही बाइक पर तीन बच्चों सहित छह लोग सवारी करते दिखे। कोरोना से बचाव के प्रति लोगों की लापरवाही की हद तो तब दिखी जब इनमें से किसी ने भी मास्क नहीं पहना था। वहीं पुलिस अथवा प्रशासन ने भी बाइक सवार पर कोई कार्रवाई नहीं की।

पिछले साल की तुलना में इस बार 83% ज्यादा बारिश

भोपाल और आसपास के क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश का असर बड़े तालाब पर देखने को मिल रहा है। बुधवार को तालाब का लेवल 1662.75 पर रहा। पिछले साल की तुलना में इस बार 83% ज्यादा बारिश हुई। इसके अलावा संक्रमण काल के दौरान चले लॉकडाउन के कारण पानी की खपत भी ज्यादा नहीं हुई।
फरवरी से कमल खिलना कम हो जाते हैं

फोटो मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी के नाम से जानी जाने वालीइंदौर के गुलावट की है। यहां जुलाई में भी कमल खिले हैं। कलम खिलने का सीजन फरवरी तक माना जाता है, लेकिन इस बार अभी भी फूलों की बहार है।

औसत से 400 मिलीमीटर अधिक बारिश हुई

छत्तीसगढ़ के अविभाजित बिलासपुर जिले का मनियारी(मुंगेली) जलाशय मंगलवार को फुल हो गया और इसके वेस्ट वेयर से तीव्र प्रवाह के साथ दूधिया धार बह निकली। बांधों में अमूमन यह नजारा अगस्त, सितंबर के महीने में देखने को मिलता था, परंतु इस बार साल 2019 में औसत से 400 मिलीमीटर अधिक बारिश होने के कारण बांध में पहले से ही 70-80 फीसदी पानी भरा था। लिहाजा बारिश के 20-22 दिनों में मनियारी फुल हो गया। प्रदेश के 11 बड़े बांधों में लबालब होने वाला यह पहला बांध है। मध्यम आकार के खम्हारपाकुट (रायगढ़) और दुर्ग का खपरी जलाशय भी फुल हो चुका है।

पांडवों ने निर्वासन के दौरान काफी समय बिताया था

फोटो मध्यप्रदेश के छतरपुर की है। मानसून सीजन में पन्ना टाइगर रिजर्व के झरने पूरे शबाब पर आ गए हैं। पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाले पांडव फॉल में पानी का स्तर बहुत तेज हो गया है। हरे-भरे जंगल के बीच ऊंचाई से गिरते हुए झरने की खूबसूरती लोगों को लुभा रही है। किवदंती है कि यहां पांडवों ने निर्वासन के दौरान काफी समय बिताया था।

खतरे के बीच लोग पार कर रहे नाला

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार पलारी जिले में लगातार बारिश के चलते खपरी-अमेरा के बीच खोरसी नाला उफान पर है। लेकिन फिर भी लोग जान जोखिम में डालकर इसे पार कर रहे हैं। कुछ दिनों से पानी पुल के ऊपर बह रहा है। तेज बारिश के बाद लोगों को मजबूरी में इस पुलिया को पार करना पड़ता है।



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After the torrential rains, Shimla reached the school carrying books from a bullock cart on a sheet of cloud covered with mud,


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