जावद के मोरका मोड़ ने ली एक और जान, सुपुर्द - ए - ख़ाक हुआ एक और नौजवान, प्रशासन क्यों नहीं करता ब्लैक स्पॉट का समाधान।


इब्राहीम बोहरा। 8 फरवरी 2024 को रात 8:50 बजे जावद के समीप मोरका मोड़ पर एक दिल दहला देने वाला सड़क हादसा हुआ, जिसमें कि जावद निवासी दो युवक हम्ज़ा पिता यूसुफ अली लोहावाला और ताहेर पिता शब्बीर हुसैन बूटवाला मोटर साइकिल से जावद की ओर आते हुए अज्ञात खड़े वाहन से बचने के लिए दूसरी लाइन में मुड़े और सामने से आ रहे टेंपो से टकरा गए और बताया जा रहा है कि वह टेंपो दोनों को रौंदता हुआ निकल गया।

तत्पश्चात दोनों को प्राथमिक उपचार के लिए एंबुलेंस द्वारा जिला चिकित्सालय ले जाया गया और फिर वहां से ज्ञानोदय हॉस्पिटल में रेफर किया गया लेकिन ज्ञानोदय हॉस्पिटल में उपचार के दौरान ही अगली सुबह हम्ज़ा बोहरा की सर पर अंदरूनी चोट के कारण मृत्यु हो गई। यह खबर सुनते ही परिवारजनों में मातम छा गया और नगर में दुःख और सन्नाटा। हंसमुख हम्ज़ा को जावद स्थित बोहरा कब्रिस्तान में नम आंखों के साथ सुपुर्द ए ख़ाक तो कर दिया लेकिन उसकी यादों को सुपुर्द ए ख़ाक करना तो संभव नहीं।

दोस्तों ये दास्तां सिर्फ हम्ज़ा की नहीं है बल्कि हम्ज़ा जैसे कई सैकड़ों और लोगों की भी है जो आए दिन ऐसी दर्दनाक दुर्घटनाओं का शिकार होते है, जिसमें मोरका मोड़ चौराहा कुख्यात है। लेकिन क्या प्रशासन को उन मृतकों के परिवारजनों का दुःख दिखाई और सुनाई नहीं देता?

दरअसल मोरका मोड़ नीमच से जावद आने वाले वाया भड़भड़िया और वाया सुवाखेड़ा रास्तों का संगम है और इसी कारण से इस चौराहे पर वाहनों का आवागमन भी अत्यधिक रहता है। कई बार इस संगम को सुगम बनाने के लिए यहां रोड के बीच में गोलाकार चौराहा बनाने की मांग उठती आई है ताकि यातायात में सावधानी बरती जा सके लेकिन प्रशासन इस पर पूर्णतया मौन ही रहा है।

इस संबंध में कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

1. मोरका मोड़ के संगम पर गोलाकार चौराहा का निर्माण कर, रोड की लाइन का विस्तार करना चाहिए।

2. मोरका मोड़ से जावद पुलिस थाना तक स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था करनी चाहिए।

3. मोरका मोड़ चौराहा पर हाई मास्ट लाइट की व्यवस्था करनी चाहिए।

4. मोरका मोड़ से जावद पुलिस थाना तक रेलिंगनुमा डिवाइडर लगाए जाए।

5. मोरका मोड़ संगम में मिल रहे तीनों रास्तों पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाए।

यदि इन 5 सुझावों पर कार्य किया जाता है तो मोरका मोड़ पर सड़क दुर्घटनाओं में कई हद तक कमी की जा सकती है और हम्ज़ा जैसे कई युवकों की आकस्मिक मृत्यु को टाला जा सकता है।
 इस हेतु जावद नगर के समस्त वर्ग के प्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए और जन प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस जन हितैषी मुद्दे के लिए आवाज़ बुलंद करनी चाहिए।

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