'मौत ही मौत'...5 वर्षों में 59 हजार से ज्यादा छात्रों ने दे दी जान!

'मौत ही मौत'...5 वर्षों में 59 हजार से ज्यादा छात्रों ने दे दी जान!

क्या आपको मालूम है कि देश में हर दिन 35 से ज्यादा छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। साल 2018 से 2022 तक देश में 59,153 छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी।

भारत की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी युवा है लेकिन, अब इसी देश में हर 40 मिनट में एक युवा अपनी जान दे रहा है। ये आंकड़े स्टूडेंट सुसाइड- एन एपिडेमिक स्वीपिंग इंडिया रिपोर्ट की ओर से जारी किए गए थे। 

स्टूडेंट सुसाइड, एन एपिडेमिक स्वीपिंग इंडिया रिपोर्ट, IC3 की सालाना कॉन्फ्रेंस में साझा की गई इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया। 

आइसी3 एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है जो पूरी दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है।

छात्रों की आत्महत्या की दर ज्यादा है—
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जहाँ हर साल 2 फीसदी की दर से आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं छात्रों में आत्महत्या की दर 4 फीसदी प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ रही है। यानी देश में आत्महत्या के जितने मामले हर साल आते हैं, उनमें छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा होती है।

आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में 13,089 
छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी, जबकि, साल 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की। वहीं 2018 से 2020 के दौरान कुल 33,020 छात्रों ने आत्महत्या कर ली।

छात्रों की आत्महत्या के अलग-अलग मामलों में अलग-अलग कारण हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में वजह है मेंटल हेल्थ। यूनिसेफ की मेंटल हेल्थ सम्बंधी एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में 15 से 24 साल का हर 7 में से एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य सम्बंधी समस्या से जूझ रहा है, तो सोचना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है?

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