मिटे तम दूर हिंदी से, मिले जब ज्ञान हिंदी में।।
करें जब प्रार्थना संसार,सुनें भगवान हिंदी में।।
हमारी शान हैं हिन्दी,हमारा मान है हिन्दी , हिन्दुओं की भाषा देखो, हमारा अभिमान हिन्दी से।।
नमन सूरज को हिंदी में, सुहानी शाम का वंदन,करें हम प्रार्थना नित ही, मिले वरदान हिंदी में।।
हमारे वेदों को समझे,अनुष्टुप छंद गायत्री, आह्वान देवों के सारे विधान हिंदी में ।।
निकलते शिव के डमरू से,स्वर और व्यंजन हिंदी के, हृस्व और दीर्घ की ध्वनियां, वाक्य रचते हिन्दी में।।
कहीं कबीर ने साखी, लिखीं तुलसी ने चौपाई,रचे मीरा ने भक्ति पद, अमर रसखान हिंदी में।।
रसों की रसना हिन्दी में,घने बादल की गहराई, बिजली सी दमकती हुई,तीखी धार है हिन्दी ।।
छंद के नियमों में देखोअलंकारों की शोभा है , काव्य की मीठी रसना से, नियमों में बंधीं हिंदी।।
भारत की सुंदरता,पूरव से पश्चिम तक,उत्तर से दक्षिण तक ,योगानंद सा योगदान है हिन्दी।।
सबेरे उठ सभी पढ़ते, रहें अखबार हिंदी का,लिखें हिंदी, पढ़ें हिंदी, करें हर काम हिंदी में।अग्रेंजी में साइलेंट शब्द यहां बिंदी भी बोले है , हमें प्राणों से प्यारी है मातृभाषा हमारी है।।
प्रकाशित रचना -रोशनी रावत शिक्षक पिपरिया नर्मदापुरम संभाग मध्यप्रदेश
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अनुरुद्ध कौरव