बसंत पंचमी पर कवियों ने किया मां शारदे का ध्यान, ओर दिखाए काव्य पाठों के अनूठे रंग रूप।

भोपाल :- काव्य धारा प्रवाह मंच द्वारा 1 फरवरी को, Facebook Page पर Live कवि सम्मेलन के माध्यम से, बसंत पंचमी का उत्सव मनाया गया ओर, मां सरस्वती की विधिवत पूजा अर्चना के बाद, कार्यक्रम में सम्मलित साहित्यकारों ने, काव्य विद्या के अलग अलग रंग रूप दिखाए।```

Live कवि सम्मेलन का संचालन, वरिष्ठ समाज सेवी, श्रीरामचरितमानस के व्याख्याकार एवं कविर्विद श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने बहुत खूबसूरत तरीके से किया।

कार्यक्रम का शुभ आरंभ मां सरस्वती जी की पूजा अर्चना करके, विधिवत रूप से किया गया। मां शारदे की वंदना, श्री कन्हैया लाल स्नेही जी के द्वारा की गई।

मंच पर काव्य पाठों की श्रृंखला में, सर्वप्रथम बेतूल मध्य प्रदेश के साहित्यकार श्री अजय पवार स्वार्थी जी ने अपना काव्य पाठ किया।
उन्होंने अपनी छोटी छोटी क्षणिकाओं के माध्यम से, कवि सम्मेलन का समा बांध दिया और अंत में उन्होंने एक शानदार गजल सुनाई।

"जो सोचूं तुझ को जी भरके, तो मेरा ध्यान हो जाए।"
"विचारूँ ना अगर तुझको तो, दिल वीरान हो जाए।।"

इनके बाद,
बगलवाड़ा के प्रख्यात कथाकार एवं कविर्विद श्री शैलेन्द्र भार्गव जी ने अपना काव्य पाठ,

"बड़े भाग्य से नर तन पायो।"
"तूने जीवन व्यर्थ गंवायो।।"

जैसी शानदार रचना से किया ओर

"जब तक चलेगी जिंदगी की सांसे, कही प्यार कही टकराव मिलेगा।"

जैसी खूबसूरत रचना के साथ अपना काव्य पाठ समाप्त किया।

पन्ना मध्य प्रदेश के साहित्यकार श्री तृषान्त कुमार जोशी जी ने,

"कभी ना ठहरती मधुर जिंदगी।"
"हवा सी गुजरती मधुर जिंदगी।।"

ओर

"उम्मीद का दामन"

 जैसे शीर्षक पर, बहुत ही लाजवाब रचना का काव्य पाठ करके, मंच को सुंदरतम रूप दे दिया। उन्होंने बुंदेली भाषा में भी शानदार रचनाएं पढ़ी।

कार्यक्रम के शिखर पर, नैनीताल उत्तराखण्ड के प्रख्यात वरिष्ठ श्रृंगार रस के कवि, श्री कन्हैया लाल स्नेही जी ने,

"अपनी खुली नरम बाहों का, जरा अहसास रहने दो।"
"मेरे वीरान गुलशन में, तनिक मधुमास रहने दो।।"

ओर

"मेरा सावन प्यासा रह गया, तुम आए नहीं दोबारा।"
"मैने जीवन की हर पगडंडी से, मुड़कर तुम्हे पुकारा।।"

जैसी प्यारी श्रृंगार रस की कविताएं सुनाकर, दर्शको ओर श्रोताओं को लाजवाब कर दिया।

मंच संचालक श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने, कविता का वजूद किता दमदार होता है, इससे क्या क्या हासिल किया जा सकता है, उस पर बहुत ही शानदार रचना सुनाई।

ओर

मंच की संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने, Live कवि सम्मेलन के समापन से पूर्व,

"मैं थी पत्थर का बुत, अब तरल हो गई।"
"झील में जैसे कमल हो गई।।"

शानदार गजल पढ़ी, जिसे सुनकर, कार्यक्रम में उपस्थित सभी जन वाह वाह करते दिखे।

बसंत पंचमी की पूर्व संध्या पर आयोजित, मां शारदे के श्री चरणो में समर्पित इस कार्यक्रम का विधिवत समापन, मंच की संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने किया। उन्होंने मंच को साझा करने वाले सभी साहित्यकारों का धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित किया ओर कार्यक्रम में जुड़ने वाले सभी दर्शकों को भी धन्यवाद दिया।

श्रीमती पायल पटेल जी ने बताया कि, उनका अगला कार्यक्रम 8 फरवरी 2025 को, जया एकादशी के दिन आयोजित होगा, जिसमे श्रीहरि को समर्पित रचनाओं के साथ साथ, सम सामयिक विषयों पर भी शानदार रचनाओं का काव्य पाठ होगा। उन्होंने मीडिया का भी धन्यवाद करते हुए, उनके कार्यक्रम की रिपोर्टिंग के लिए आभार व्यक्त किया।

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