वसंत पंचमी: ऐतिहासिक महत्व
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अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी का शौर्य दिवस (बलिदान दिवस) बसंत पंचमी यानी आज ही है। इस दिन सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण चलाकर सुल्तान गोरी को एक तीर में ही धरती पर गिरा दिया और प्राण पखेरू उड़ा दिए ऐसे महान वीर को शत शत नमन।
वसंत पंचमी का दिन हमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और अपने भाई सुल्तान गयासुद्दीन गौरी के सामने पेश किया। गयासुद्दीन गौरी ने सम्राट को झुकने के लिए कहा लेकिन सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने कहा मेरी आंखे भी ना झुकायु तुम्हारे सामने। तो सुल्तान गौरी ने उनकी आंखें फुडवा दीं। सम्राट पृथ्वीराज चौहान को अंधा करके अफगानिस्तान में देहक की जेल (हेरात के निकट स्थित) में बंद कर दिया, 10वर्ष तक वो वही बंदी रहे। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। फिर चन्दबरदाई जी उनको ढूंढते हुए देहक पहुंचे,और सुलतान गयासुद्दीन गौरी या उसके छोटे भाई मुहम्मद गौरी को अपने जाल में फंसाकर बोले कि एक विचित्र शब्द भेदी बाण चलाने वाला अंधा कैदी आपकी जेल में बंद है। आपकी आज्ञा हो तो उसकी शब्द भेदी बाण चलाने की कला का परीक्षण करे। गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर सुल्तान गयासुद्दीन गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह सुल्तान गयासुद्दीन गौरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
परिणामस्वरूप सुलतान गौरी यानी गयासुद्दीन गौरी की कब्र भी उसी देहक़ की गढ़ नुमा जेल में बनाई और इस गौरी के पैरों की ओर सम्राट पृथ्वीराज जी चौहान व उनके मित्र सखा चंद्रबरदाईजी के मृत्यु स्मारक बनाए, जिन पर ये अफगानी मुसलमान आज तक जूता मारकर फिर गौरी की कब्र पर फूल चढ़ाते हैं ये प्रथा चली आ रही है। इस सुल्तान गौरी की कब्र पर शहीद व गाजी सहित 1203ई. लिखा है,जिसका अर्थ अफगानिस्तान के निवासी बताते हैं कि शहीद अर्थात वो किसी हिंदू काफिर द्वारा मारा गया, इसीलिए उसकी कब्र पर शहीद लिखा और गाजी इसलिए लिखा क्योंकि उसने अपने जीवन काल में कई गैर मुस्लिमों को मारा। मुस्लिम लेखकों ने इस घटना को शर्म के मारे इतिहास की पुस्तकों में नही लिखा। ये गौरी मोहम्मद गौरी का बड़ा भाई सुल्तान गयासुद्दीन गौरी था जो कि हेरात अफगानिस्तान का सुलतान व महमूद गौरी का बड़ा भाई था। इसलिए सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस सुलतान गौरी को मारा क्योंकि मोहम्मद गौरी तो अपने बड़े भाई गयासुद्दीन गौरी का सेनापति था, जबकि वास्तविक सुलतान तो गयासुद्दीन गौरी था। इसी प्रकार महमूद गौरी की मृत्यु 1206 ई में हुईं और इसकी कब्र पंजाब पाकिस्तान में स्थित है।
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अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान जी का शौर्य दिवस (बलिदान दिवस) बसंत पंचमी यानी आज ही है। इस दिन सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण चलाकर सुल्तान गोरी को एक तीर में ही धरती पर गिरा दिया और प्राण पखेरू उड़ा दिए ऐसे महान वीर को शत शत नमन।
वसंत पंचमी का दिन हमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और अपने भाई सुल्तान गयासुद्दीन गौरी के सामने पेश किया। गयासुद्दीन गौरी ने सम्राट को झुकने के लिए कहा लेकिन सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने कहा मेरी आंखे भी ना झुकायु तुम्हारे सामने। तो सुल्तान गौरी ने उनकी आंखें फुडवा दीं। सम्राट पृथ्वीराज चौहान को अंधा करके अफगानिस्तान में देहक की जेल (हेरात के निकट स्थित) में बंद कर दिया, 10वर्ष तक वो वही बंदी रहे। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। फिर चन्दबरदाई जी उनको ढूंढते हुए देहक पहुंचे,और सुलतान गयासुद्दीन गौरी या उसके छोटे भाई मुहम्मद गौरी को अपने जाल में फंसाकर बोले कि एक विचित्र शब्द भेदी बाण चलाने वाला अंधा कैदी आपकी जेल में बंद है। आपकी आज्ञा हो तो उसकी शब्द भेदी बाण चलाने की कला का परीक्षण करे। गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर सुल्तान गयासुद्दीन गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह सुल्तान गयासुद्दीन गौरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
परिणामस्वरूप सुलतान गौरी यानी गयासुद्दीन गौरी की कब्र भी उसी देहक़ की गढ़ नुमा जेल में बनाई और इस गौरी के पैरों की ओर सम्राट पृथ्वीराज जी चौहान व उनके मित्र सखा चंद्रबरदाईजी के मृत्यु स्मारक बनाए, जिन पर ये अफगानी मुसलमान आज तक जूता मारकर फिर गौरी की कब्र पर फूल चढ़ाते हैं ये प्रथा चली आ रही है। इस सुल्तान गौरी की कब्र पर शहीद व गाजी सहित 1203ई. लिखा है,जिसका अर्थ अफगानिस्तान के निवासी बताते हैं कि शहीद अर्थात वो किसी हिंदू काफिर द्वारा मारा गया, इसीलिए उसकी कब्र पर शहीद लिखा और गाजी इसलिए लिखा क्योंकि उसने अपने जीवन काल में कई गैर मुस्लिमों को मारा। मुस्लिम लेखकों ने इस घटना को शर्म के मारे इतिहास की पुस्तकों में नही लिखा। ये गौरी मोहम्मद गौरी का बड़ा भाई सुल्तान गयासुद्दीन गौरी था जो कि हेरात अफगानिस्तान का सुलतान व महमूद गौरी का बड़ा भाई था। इसलिए सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने इस सुलतान गौरी को मारा क्योंकि मोहम्मद गौरी तो अपने बड़े भाई गयासुद्दीन गौरी का सेनापति था, जबकि वास्तविक सुलतान तो गयासुद्दीन गौरी था। इसी प्रकार महमूद गौरी की मृत्यु 1206 ई में हुईं और इसकी कब्र पंजाब पाकिस्तान में स्थित है।