काशी तमिल संगमम 3.0: बनारस में 10 दिनों तक होगा सांस्कृतिक एकता का महाकुंभ, तैयारी जोरों पर, अधिकारियों नें बैठक कर बनाई रणनीति...

 

काशी तमिल संगमम 3.0: बनारस में 10 दिनों तक होगा सांस्कृतिक एकता का महाकुंभ, तैयारी जोरों पर, अधिकारियों नें बैठक कर बनाई रणनीति...


वाराणसी : काशी तमिल संगमम 3.0 की तैयारियों को लेकर केंद्र सरकार के अपर सचिव (ई०) सुनील कुमार बरनवाल की अध्यक्षता में शुकवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की गई। बैठक में वाराणसी जिलाधिकारी एस राजलिंगम नें पूर्व में आयोजित काशी तमिल संगमम 1.0 और 2.0 के दौरान की गई तैयारियों और आयोजनों की जानकारी दी। अपर पुलिस आयुक्त एस. चिनप्पा नें सुरक्षा व्यवस्था का खाका पेश करते हुए आयोजन के दौरान अतिथियों की सुरक्षा के लिए अपनाए जाने वाले उपायों की जानकारी दी। सचिव नें आयोजन की सफलता के लिए सुरक्षा, चिकित्सकीय सुविधाओं और स्वच्छता के प्रभावी प्रबंधन पर जोर दिया।


इस वर्ष काशी तमिल संगमम 15 फरवरी से 24 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा। इसमें तमिलनाडु से पांच नियमित समूह और एक विशेष विद्यार्थी समूह सहित कुल छह समूहों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि भाग लेंगे। इन समूहों द्वारा नमो घाट पर आयोजित शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया जाएगा। इसके बाद अतिथि प्रयागराज जाएंगे, जहां वे संगम स्नान, अक्षयवट, हनुमान मंदिर और अन्य प्रमुख स्थलों का भ्रमण करेंगे। प्रयागराज से आगे वे अयोध्या पहुंचेंगे, जहां राम मंदिर, कनक भवन और घाट का अवलोकन करेंगे। अंतिम चरण में, ये अतिथि वापस वाराणसी आकर अपने-अपने गंतव्य तमिलनाडु लौटेंगे।


काशी तमिल संगमम का आयोजन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा संस्कृति, कपड़ा, रेलवे, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना एवं प्रसारण सहित कई अन्य मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के विद्वानों, छात्रों, कलाकारों, कारीगरों, व्यापारियों और अन्य क्षेत्रों के लोगों को एक साझा मंच प्रदान करना है, जहां वे अपने ज्ञान और संस्कृति को साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे से सीख सकते हैं।


इस कार्यक्रम के जरिए युवाओं को भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का अनुभव कराना भी एक अहम उद्देश्य है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शैक्षिक प्रणालियों से जोड़ने के प्रयासों के अनुरूप है। कार्यक्रम के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) को कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में चुना गया है।


इस वर्ष तमिलनाडु से पांच अलग-अलग श्रेणियों में प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा, जिनमें छात्र, शिक्षक और लेखक, किसान, कारीगर, पेशेवर और छोटे उद्यमी शामिल हैं। इसके अलावा महिलाएं, जिनमें स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की सदस्य, मुद्रा योजना के लाभार्थी और डीबीएचपीएस प्रचारक शामिल हैं। वहीं स्टार्ट-अप, इनोवेशन, एडु-टेक और अनुसंधान क्षेत्र से जुड़े युवा भी इस आयोजन में शामिल हैं।


इनके अतिरिक्त, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले तमिल मूल के लगभग 200 छात्र भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस वर्ष की योजना में युवाओं की व्यापक भागीदारी को प्राथमिकता दी गई है। आठ दिवसीय यात्रा में चार दिन यात्रा और चार दिन कार्यक्रम स्थल पर बिताए जाएंगे।


काशी तमिल संगमम 3.0 के दौरान काशी में ऋषि अगस्त्यर के योगदान और तमिल भाषा, साहित्य, कला, संस्कृति, दर्शन, स्वास्थ्य और विज्ञान में उनकी भूमिका पर प्रदर्शनी, सेमिनार, कार्यशालाएं और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन आयोजनों के जरिए काशी और तमिलनाडु के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया जाएगा।


इस वर्ष काशी तमिल संगमम का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि यह आयोजन महाकुंभ मेले के दौरान हो रहा है। इसके अलावा, यह अयोध्या में रामलला के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के बाद पहली बार आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन तमिल और काशी जैसे दो प्राचीन शिक्षण केंद्रों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।


बैठक में मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल, अपर जिलाधिकारी (नगर) आलोक कुमार वर्मा, एडीएम वित्त/राजस्व वंदिता श्रीवास्तव, एडीएम प्रशासन विपिन कुमार और एडीएम प्रोटोकॉल सहित विभिन्न विभागों के केंद्रीय और स्थानीय अधिकारी शामिल हुए। इसके अलावा, अयोध्या, प्रयागराज और मेला क्षेत्र से संबंधित अधिकारी वर्चुअल माध्यम से बैठक में जुड़े।

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