काव्य धारा प्रवाह मंच से, कविर्विदो ने दिया देश को, त्याग, समर्पण, सत्य, अहिंसा, नारी शिक्षा, ओर गीता ज्ञान का दिया संदेश।

भोपाल :- काव्य धारा प्रवाह मंच के facebook पेज पर आयोजित होने वाले साप्ताहिक, Live कवि सम्मेलन में इस बार, मातृ शक्ति स्वरूपा कवयित्रियों ने, देश को बहुत ही सुंदर संदेश दिया। जिसमें उन्होंने देश में, बेटियों को शिक्षित करने, वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करने, सत्य, अहिंसा, समर्पण और देश में गीता ज्ञान को अनिवार्य करने का संदेश दिया।

काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका एवं संरक्षिका श्रीमती पायल पटेल जी ने, भारत पत्र के रिपोर्टर अनुरुद्ध कौरव से बातचीत करते हुए बताया कि, इस बार उनके मंच द्वारा, यह 46वां Live कवि सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें महिला कवयित्रियों ने मंच को साझा करते हुए, अपनी शानदार प्रस्तुतियां प्रदान करते हुए, देश ओर समाज को, बहुत ही उत्तम संदेश दिया।

काव्य धारा प्रवाह के अध्यक्ष, समाज सेवी, कथाकार एवं कविर्विद आदरणीय श्री दौलत सिंह जी के द्वारा, Live कवि सम्मेलन का संचालन, बहुत ही शानदार तरीके से किया गया।

46वें Live कवि सम्मेलन का शुभ आरंभ, भोपाल की प्रख्यात कवयित्री डॉक्टर प्रतिभा द्विवेदी जी ने, मां सरस्वती जी की वंदना करके किया।

भोपाल की ही रहने वाली कवयित्री श्रीमती शीतल चौधरी जी ने, अपना काव्य पाठ,

"सुंदर लोचन एक चंचला, नैनो से अनल बाण चलाती।"
"करती घात हृदय पर, अधरों से प्रेम रस छलकाती।।"

जैसी सुंदर श्रृंगार रस की कविता से करके किया ओर फिर उन्होंने,

"भविष्य के चित्र में, तीन ही छवियां होंगी।"
"माता पिता पुत्र या, फिर पुत्री ही होगी।।"

जैसे शब्दो से अलंकृत रचना सुनाई, जिसमें आजकल एकल परिवार की विसंगतियों को, अदभुत तरीके से उजागर करते हुए, समाज को, संयुक्त परिवार में रहने का संदेश दिया।

भोपाल की ही प्रख्यात कवयित्री आदरणीया रचना गुरुजी ने, अपनी सुमधुर आवाज में, अपने इष्ट देव के चरणो में,

"तेरे दर पर जो एक बार आया।"
"किसी दर की जरूरत नहीं है।।"
"तेरा एक बार दीदार पाया,
किसी शै की जरूरत नहीं है।।"
 
जैसा सुंदर भजन रखा और
साथ में उन्होंने,

"आंख भर आई है, आंखों को छलक जाने दो।"
"दिल के कोने में, तेरी याद दबा रखी है,"
"यादों के फूल महकते है, महक जाने दो।।"

जैसी लाजवाब रचना सुनाकर, मंच का माहौल सुन्दरमय बना दिया।

प्रख्यात प्रोफेसर एवं कविर्विद, भोपाल की कवयित्री आदरणीया वसुधा श्रीवास्तव जी ने, मंच पर आते ही, बहुत संवेदनशील विषय पर अपनी रचना रखी, उन्होंने,

"माता पिता की जान है बेटी।"
"एक मीठी सी मुस्कान है बेटी।।"

जैसी सुंदर रचना में, गागर में सागर भर दिया, इस रचना में उन्होंने बहुत से बेटियो से संबंधित मुद्दों पर, अपना पक्ष रखकर, समाज व देश को सार्थक संदेश दिया।
इसके बाद उन्होंने देश के वरिष्ठ नागरिकों को उचित मान सम्मान मिले, इस विषय पर लाजवाब रचना सुनाई।

भोपाल की कवयित्री डॉक्टर प्रतिभा द्विवेदी जी ने, मंच साझा करते हुए, अपने मन की बात, सुंदर शब्दो मे रखी,

"हमसे मन की कही नहीं जाती।"
"चुप्पी भी तो सही नहीं जाती।।"

डॉक्टर प्रतिभा द्विवेदी जी ने, इस रचना को सुनाकर, मंच पर उपस्थित सभी साहित्यकारों का हृदय जीत लिया।
उन्होंने

"अब नहीं चलेगी धूप की, बदल गई सरकार।"
"खबर बांटता फिर रहा, मौसम का अखबार।।"

जैसी सुंदर रचना, शीत कालीन मौसम पर भी सुनाई, जो बहुत पसंद की गई।

मंच के अध्यक्ष एवं संचालक, आदरणीय श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने, अपनी रचना के माध्यम से, देश ओर समाज को बहुत ही गूढ़ संदेश दिया उन्होंने,

"सत्य अहिंसा त्याग समर्पण, हो जिसकी पहचान।"
"हर नारी हो शिक्षित, हर घर गूंजे गीता ज्ञान।।"

जैसी रचना के माध्यम से, देश को रामराज्य जैसा माहौल बनाने के लिए क्या क्या आवश्यक है, इस विषय पर बहुत ही लाजवाब रचना सुनाकर, सभी का हृदय जीत लिया और, देश ओर समाज को भी बहुत सुंदर संदेश दिया।

काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने भी, बहुत सुंदर शायरी सुनाई। जिसे सुनकर सभी वाह वाह करने लगे।

मंच का समापन, श्री दौलत सिंह ठाकुर और श्रीमती पायल पटेल जी ने, सभी साहित्यकारों एवं दर्शको का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हुए किया।

भारत पत्र का धन्यवाद करते हुए, श्रीमती पायल पटेल ने बताया कि, उनका काव्य धारा प्रवाह मंच, लगातार साहित्य पथ पर उन्नति करता जा रहा है, उनके मंच पर प्रत्येक सप्ताह, देश के जाने माने प्रख्यात साहित्यकार जुड़कर, अपना श्रेष्ठ रचनाओं का प्रस्तुतिकरण करते हुए, बहुत ही सार्थक संदेश देते जा रहे है। उन्होंने आशा जताई कि, उनका मंच लगातार ऐसे ही प्रगति करता रहेगा और काव्य धारा प्रवाह मंच ओर इसकी पूरी टीम, अपने पूरे मनोयोग से, देश, साहित्य, समाज की सेवा में, निस्वार्थ भाव से लगातार सेवा करते रहेंगे।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने