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वाराणसी-प्रयागराज रूट पर 110 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें

महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं के लिए वाराणसी और प्रयागराज की यात्रा अब और सुविधाजनक होगी। बनारस-प्रयागराज रेल खंड पर 113.59 किलोमीटर का दोहरीकरण और विद्युतीकरण कार्य पूरा हो चुका है। शेष प्रयागराज रामबाग-झूंसी (7.36 किलोमीटर) खंड का कार्य भी 11 दिसंबर 2024 तक ब्रिज के साथ पूरा कर लिया जाएगा। इस खंड पर सीआरएस निरीक्षण के बाद इसे चालू कर दिया जाएगा।
दोहरीकृत और विद्युतीकृत इस रेल मार्ग पर ट्रेनें 110 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दौड़ेंगी, जिससे यात्रा समय में आधे घंटे की कमी आएगी। यह परियोजना 1600 करोड़ रुपये की लागत से पूरी की गई है। इससे न केवल यात्रा तेज होगी, बल्कि प्रयागराज-नैनी और पं. दीनदयाल उपाध्याय रेल मार्ग पर दबाव भी कम होगा। 
रेल खंड के दोहरीकरण और विद्युतीकरण से तीर्थयात्रियों को विशेष लाभ मिलेगा। माघ मेला, अर्धकुंभ और महाकुंभ जैसे प्रमुख आयोजनों के दौरान संगम स्नान के लिए आनें वाले श्रद्धालु अब काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन के लिए आसानी से आ-जा सकेंगे।
इस परियोजना को सात चरणों में पूरा किया गया। रेलवे अधिकारियों नें बताया कि इससे कुंभ मेला 2025 के दौरान विशेष ट्रेनों का संचालन सुगम हो सकेगा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार नें ब्रिज और रेल खंड का निरीक्षण कर परियोजना को महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
बनारस-प्रयागराज रेल खंड के विद्युतीकरण और दोहरीकरण से न केवल वाराणसी, मिर्जापुर, संत रविदास नगर और प्रयागराज जिले को सीधा लाभ मिलेगा, बल्कि इस मार्ग पर बढ़ते यात्री यातायात को भी सहजता से प्रबंधित किया जा सकेगा। रेलवे बोर्ड की इस स्वीकृति से इस खंड पर अधिक ट्रेनों का संचालन संभव होगा, जिससे यात्रियों के लिए तीर्थयात्रा और नियमित यात्रा दोनों ही तेज और सुविधाजनक होंगी।

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