कहानी एक पुलिया की, कहानी मध्य प्रदेश पंचायती राज की अद्भुतता की।

इब्राहीम बोहरा। मध्य प्रदेश की अंतिम विधानसभा जावद की ग्राम पंचायत बावल नई का एक वार्ड (ग्राम) है डूँगरपुरिया, और इस ग्राम के समीपस्थ एक और ग्राम है केलूखेड़ा, जो कि डूँगरपुरिया से मात्र 20 फ़ीट, या यूँ कहें कि एक पुलिया भर दूर है, जबकि ग्राम केलूखेड़ा स्वयं में एक ग्राम पंचायत मुख्यालय है किन्तु डूँगरपुरिया उसमे सम्मिलित नहीं है। 

मध्य प्रदेश शासन के इस पंचायती राज की अद्भुतता को गहराई से समझने के लिए हमें नई बावल पंचायत और केलूखेड़ा पंचायत के बारे में कुछ बातें जानना अत्यावश्यक है। जिसमे सर्वप्रथम तो ग्राम पंचायत नई बावल में कुल 7 ग्राम लगते हैं जिनमे बावल नई, डूँगरपुरिया, लालपुरा, चौकानखेड़ा, सीताराम जी का खेड़ा और रतनपुरिया प्रथम व द्वितीय शामिल हैं एवं इस ग्राम पंचायत में कुल मतदाता करीब 5,000 हैं।
जबकि केलूखेड़ा पंचायत में कुल ३ ग्राम लगते हैं जिनमे केलूखेड़ा, बावल जूनि और नंपुरिया शामिल है एवं ग्राम पंचायत में कुल मतदाता करीब 1,300 मात्र हैं। 

अब चूँकि यहाँ विषय अद्भुतता का है तो इन तथ्यों में अद्भुतता यह है कि ग्राम डूँगरपुरिया की पंचायत नई बावल लगने से हर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में या फिर किसी भी प्रकार के कार्यालयीन कार्य के लिए केलूखेड़ा होते हुए 3.5 किलोमीटर दूर पंचायत मुख्यालय नई बावल जाना पड़ता है। इसमें कोई विडम्बना वाली बात नहीं क्योंकि इस पंचायत के अन्य ग्राम इससे भी दूर है लेकिन विडम्बना यह है कि एक और अन्य पंचायत का मुख्यालय मात्र 20 फीट की दूरी पर है। 

और अपने स्वयं के पंचायत मुख्यालय पर जाने के लिए डूंगरपुरिया वासियों को केलुखेड़ा होकर जाना पड़ता है जिससे इस मार्ग की दूरी 1 किलोमीटर बढ़ जाती है जिसका कारण सिर्फ यह है कि डूँगरपुरिया और नई बावल के बीच नदी पड़ती है जिस पर कोई पुलिया नहीं है जबकि केलूखेड़ा और नई बावल के बीच पुलिया है। और तो और यही एक मात्र कारण है कि क्यों हर चुनाव में नई बावल स्थित डूँगरपुरिया बूथ जिसमे कुल वोटरों की संख्या करीब 1,200 है, का वोटिंग प्रतिशत कम ही रहता है। 

इस रोचक समस्या के कई सरे उपाय है जैसे कि ग्राम डूँगरपुरिया को समीपस्थ पंचायत केलूखेड़ा में सम्मिलित कर दिया जाए, किन्तु फिर सभी भूमियों के पटवारी हल्का और अन्य प्रशासनिक फेरबदल में काफी समय और पैसा खर्च होगा। या फिर इसका सबसे आसान उपाय है कि डूँगरपुरिया और बावल नई के बीच एक पुलिया का निर्माण कराया जाए ताकि डूँगरपुरिया निवासी अपने पंचायत मुख्यालय से सीधे जुड़ पाएं जिसकी लागत लगभग 10 से 15 लाख रुपये मात्र आनी है। 

अब देखते हैं प्रदेश की भाजपा सरकार अपने 25 वर्षों से वफ़ादार डूँगरपुरिया मतदाताओं की समस्या का निराकरण कब करती है, और करती भी है या नहीं। 

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