प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है अनवर भाई की मौत।

जावद। ओम प्रकाश कसेरा।
 नगर के छिपा मोहल्ला स्थित वार्ड क्रमांक 9 के निवासी अनवर भाई छिपा उम्र 65 वर्ष की 24 जून को कोरोनावायरस पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर उन्हें और परिजनों को नीमच क्वारंटाइन किया जाता है, साथ ही परिजनों का सैंपल लेने पर उनकी रिपोर्ट नेगेटिव बताई जाती है।

 5 जुलाई को उन्हें यह कह कर रेफर कर दिया जाता है कि आप स्वस्थ हैं इस पर परिजनों ने कहा की हालत देखकर नहीं लगता कि यह पूर्ण रूप से स्वस्थ है क्योंकि जब अनवर भाई को रिलीज किया गया तब उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव से नेगेटिव नहीं आई तो फिर वह स्वस्थ है इस बात का क्या प्रमाण है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों ने परिजनों की बात नहीं मानी और कह दिया कि आप ही ने ले जा सकते हैं यह स्वस्थ है।

 परिजनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 6 जुलाई को उनके सर में दर्द होने लगा और उनकी तबीयत खराब हुई जिसकी सूचना उन्होंने कंट्रोल रूम पर दी, कंट्रोल रूम के अधिकारियों ने उन्हें जावद शासकीय चिकित्सालय पहुंचाया और वहां से नीमच रेफर कर दिया। नीमच में इनकी कोरोनावायरस और फिर रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उनको इंदौर रेफर कर दिया।

 इंदौर ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।

 अब सवाल यह उठता है कि जब वह व्यक्ति स्वस्थ नहीं थे तो फिर उन्हें रिलीज क्यों किया गया?
 स्वास्थ्य अधिकारियों को इतनी क्या जल्दी थी?

 जबकि कुछ पॉजिटिव मरीजों से बात की जो स्वस्थ होकर लौटे उन्होंने कई बार घर जाने के लिए डॉक्टरों से कहा तब जाकर हमें रिलीज किया गया, फिर अनवर भाई के मामले में जल्दबाजी क्यों की गई?
 मात्र 16 हजार की आबादी वाले छोटे से कस्बे में 400 के करीब कोरोना पॉजिटिव मरीज आने से वैसे भी प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, आम जनता जैसे तैसे कोरोनावायरस के डर से उबर कर अपने रोजमर्रा के कार्य में व्यस्त हो रही है वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक लापरवाही उजागर हो रही है।
 जब देश में 71% मरीज सामान्य उपचार से ठीक हो रहे हैं तो फिर क्वॉरेंटाइन करके लोगों में नाराजगी क्यों पैदा की जा रही है? प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई अनवर भाई की मौत से लोगों में नाराजगी है।

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