🙏 जय सिया राम जी की 🙏
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राम तथा रामायण की सर्वोत्तम व्याख्या जो मैंने पढ़ी आपके साथ साझा कर रहा हूं ।
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रामायण की यह तय व्याख्या जीवन का दर्शन है ।
"रा" मतलब प्रकाश
"म" मतलब मेरे भीतर अर्थात मेरे हृदय के भीतर
अतः
"राम" अर्थात मेरे अन्दर का प्रकाश..
"राम" दशरथ एवं कौशल्या से जन्में हैं ।
"दशरथ" अर्थात दस रथ ’..
दस रथ रूपक है "पांच ज्ञानेन्द्रियां" तथा "पांच कर्मेन्द्रियां"..
"कौशल्या" अर्थात ‘कौशल’..
कौशल युक्त दस रथों का रथी ही राम को जन्म दे सकता है।
जब दस रथों का कौशलपूर्ण प्रयोग किया जाता है तो स्व के भीतर "राम" का जन्म होता है..
"राम" का जन्म अयोध्या में हुआ था।
"अयोध्या" अर्थात एक स्थान जहाँ कोई युद्ध नहीं होता है।
जब हमारे अंत:करण में कोई संघर्ष नहीं होता है तो राम की उत्पत्ति होती है ।..
"रामायण" मात्र एक कहानी नहीं है जो बहुत पहले घटित हुई थी..
इसका दार्शनिक व आध्यात्मिक महत्व है तथा एक गहन सत्य निरूपित होता है। ऐसा कह सकते है कि रामायण जीवात्मा के शरीर में घटित हो रही है।
हमारी आत्मा राम है,
हमारा मस्तिष्क सीता है,
हमारा श्वास या जीवन प्राण हनुमान है,
हमारा अंत:करण लक्ष्मण है और हमारा घमण्ड रावण है।
जब मस्तिष्क (सीता) का अपहरण घमण्ड (रावण), द्वारा कर लिया जाता है तो आत्मा (राम) बैचेन हो उठती है..
अब जब आत्मा (राम) अपने स्वयं से मस्तिष्क (सीता) तक अपने स्वयं के प्रयासों से नहीं पहुंच पाती है तो..
इसे श्वास – जीवन प्राण (हनुमान) का सहयोग अंत:करण (लक्ष्मण) के साथ लिया जाता है। श्वास-जीवन प्राण (हनुमान) तथा अंत: करण (लक्ष्मण) की सहायता से मस्तिष्क (सीता) आत्मा (राम) के साथ पुनः एकाकार हो जाती है । घमण्ड (रावण) नष्ट/समाप्त हो जाता है।
वास्तव में रामायण एक विलक्षण आन्तरिक घटना है, जो सदैव घटित होती रहती है। बस हम महामानव को इसे ही समझने की जरूरत है और यह तभी समझना संभव हो सकता है जब हम किसी योग्य संत के सानिध्य में रहकर उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर चले तब।