वक्फ संशोधन विधेयक : विवाद और संशोधनों के बीच JPC ने दी मंजूरी, विपक्ष का भारी विरोध
दिल्ली : संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में प्रस्तावित 44 संशोधनों को मंजूरी दे दी। JPC अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि समिति की अंतिम बैठक में इन संशोधनों पर विस्तार से चर्चा की गई। इनमें से 14 संशोधन NDA सांसदों के सुझावों पर आधारित हैं। हालांकि, विपक्षी दलों के प्रस्तावों को वोटिंग के दौरान खारिज कर दिया गया।
1995 में बने वक्फ एक्ट को अक्सर भ्रष्टाचार, अतिक्रमण और मिसमैनेजमेंट के आरोपों का सामना करना पड़ा है। संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण, बेहतर ऑडिट प्रणाली और पारदर्शिता लाना है। साथ ही अवैध कब्जों को खत्म करने और कानूनी प्रणाली में सुधार पर जोर दिया गया है। संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया था।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और TMC समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक को मुस्लिम विरोधी बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि बिल में कलेक्टर को अत्यधिक अधिकार देकर वक्फ संपत्तियों को सरकारी संपत्ति घोषित करने का रास्ता साफ किया गया है। जम्मू-कश्मीर के हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक ने भी इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताते हुए कड़ी आलोचना की।
JPC की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उन्हें प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने समिति की कार्यवाही को "तमाशा" करार देते हुए अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर तानाशाही के आरोप लगाए। इस दौरान 10 विपक्षी सांसदों को समिति की कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया।
जगदंबिका पाल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी और बहुमत की राय को प्राथमिकता दी गई। विपक्षी सांसद नारेबाजी और असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल कर कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे।"
JPC ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपनी रिपोर्ट बजट सत्र में पेश करने की तैयारी कर ली है। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल तक चलेगा, और केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। संशोधित वक्फ विधेयक में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता पर जोर देकर इसे अधिक प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है।
हालांकि, विपक्ष के विरोध और आरोपों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक संसद के पटल पर कितना समर्थन पाता है।