बुंदेलखंड राष्ट्र समिति एक प्रमुख संगठन है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र के समग्र विकास, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, और क्षेत्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए काम करता है।

 

बुंदेलखंड राष्ट्र समिति एक प्रमुख संगठन है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र के समग्र विकास, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, और क्षेत्रीय अस्मिता की रक्षा के लिए काम करता है। इस संगठन की स्थापना प्रवीण पाण्डेय ने की, जो वर्तमान में इसके केंद्रीय अध्यक्ष हैं। यह संगठन न केवल सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए संघर्ष कर रहा है, बल्कि जल, जंगल, जमीन, और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों को हल करने के लिए एक व्यापक आंदोलन चला रहा है।



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उद्देश्य और लक्ष्य:


1. बुंदेलखंड राज्य का गठन:


संगठन का मुख्य उद्देश्य भारत में एक अलग बुंदेलखंड राज्य का गठन है, जिससे क्षेत्र की उपेक्षा समाप्त हो और सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके।


समिति का नारा है: “हर हाथ को काम, हर खेत को पानी, और बुंदेलखंड राज्य हमारा अधिकार”।




2. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण:


जल संकट का समाधान और क्षेत्रीय नदियों का संरक्षण।


जंगलों की कटाई रोकना और भूमि संरक्षण।


पर्यावरणीय जागरूकता फैलाना।




3. सामाजिक और आर्थिक सुधार:


बुंदेलखंड के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना।


क्षेत्रीय शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का सुधार।


किसानों की समस्याओं का समाधान और कृषि क्षेत्र का सशक्तिकरण।




4. बुंदेली संस्कृति और भाषा का संरक्षण:


बुंदेली भाषा, साहित्य, और कला को बढ़ावा देना।


क्षेत्रीय त्योहारों और परंपराओं को पुनर्जीवित करना।






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संगठन की संरचना:


1. केंद्रीय समिति:


संगठन की नीति निर्धारण और निर्णय लेने वाली मुख्य इकाई।


प्रवीण पाण्डेय केंद्रीय अध्यक्ष के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं।




2. क्षेत्रीय और जिला इकाइयाँ:


संगठन की उपस्थिति बुंदेलखंड के सभी जिलों में है, जैसे झांसी, ललितपुर, चित्रकूट, महोबा, बांदा, हमीरपुर, जालौन, दमोह, और छतरपुर।


प्रत्येक जिले में जिला अध्यक्ष और उनकी टीम होती है।




3. युवा और महिला विंग:


युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विशेष इकाइयों का गठन किया गया है।






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प्रमुख अभियान और कार्यक्रम:


1. बुंदेलखंड पदयात्रा:


संगठन ने 12 अक्टूबर 2024 से ललितपुर से झांसी तक पदयात्रा का आयोजन किया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।


इस यात्रा का उद्देश्य बुंदेलखंड राज्य आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना था।




2. 'गांव-गांव, पांव-पांव' अभियान:


ग्रामीण स्तर पर जनजागरण अभियान, जिसमें प्रत्येक गांव तक पहुंचकर आंदोलन को मजबूत किया गया।




3. रक्षाबंधन अभियान:


प्रधानमंत्री को राखी के माध्यम से बुंदेलखंड राज्य की मांग का संदेश भेजा गया।




4. सम्मेलन और कार्यशालाएँ:


'क्यों चाहिए बुंदेलखंड राज्य?' जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।


जल संरक्षण, नदी पुनर्जीवन, और कृषि सुधार पर कार्यशालाओं का आयोजन किया।




5. पर्यावरणीय आंदोलन:


नदियों की सफाई और पुनर्जीवन के लिए सक्रिय आंदोलन।


'अविरल गंगा, निर्मल गंगा' और यमुना संरक्षण अभियान में सक्रिय भागीदारी।






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प्रकाशन और अनुसंधान:


'जल निधियों को जीने दो', 'सिसकती नदियों का अंतहीन संघर्ष': प्रवीण पाण्डेय की लिखी किताब, जिसमें नदियों और जल संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला गया है।


'युगानुकूल नवरचना': संगठन की पत्रिका, जो सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर केंद्रित है।


बुंदेली भाषा और इतिहास पर आधारित साहित्य का प्रकाशन।




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भविष्य की योजनाएँ:


1. बुंदेलखंड राज्य आंदोलन को और व्यापक बनाने के लिए सभी संगठनों का महा गठबंधन बनाना।



2. क्षेत्र में जल संकट और बेरोजगारी का समाधान करने के लिए ठोस योजनाएँ लागू करना।



3. बुंदेली शोध केंद्र के माध्यम से क्षेत्रीय विकास के मॉडल तैयार करना।



4. नदी संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए बड़े पैमाने पर जनभागीदारी सुनिश्चित करना।





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संगठन का महत्व:


बुंदेलखंड राष्ट्र समिति क्षेत्र की जनता की आवाज़ बन चुकी है। यह न केवल बुंदेलखंड राज्य आंदोलन का नेतृत्व कर रही है, बल्कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, और सामाजिक-आर्थिक सुधार के लिए ठोस कदम उठा रही है। प्रवीण पाण्डेय के नेतृत्व में यह संगठन एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है कि किस प्रकार जमीनी स्तर पर संघर्ष और जनभागीदारी से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।



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