भोपाल:- Facebook पर Live आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन में इस बार, मां भारती की वंदना ओर इसकी शान तथा श्रृंगार ओर प्रेम रस की कविताओं का जादू, बहुत ही अनोखे अंदाज में बिखरा। जिसको दर्शको ओर साहित्यकारों द्वारा बहुत ही सराहा गया।
काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका जी ने, भारत पत्र के रिपोर्टर अनुरुद्ध कौरव से बातचीत के दौरान बताया कि, उनके मंच के द्वारा यह 51 वां Live कवि सम्मेलन था, जो बहुत ही सफलता पूर्वक संपन्न हुआ और दर्शको के द्वारा बहुत ही सराहा गया।
इस बार के कार्यक्रम की संचालन की जिम्मेदारी, रायगढ़ छत्तीसगढ़ की प्रख्यात कवयित्री श्रीमती अंजना सिन्हा "सखी जी" के कंधों पर थी, श्रीमती अंजना सिन्हा ने अपनी जिम्मेदारी को बहुत ही शानदार तरीके से निभाया, उनके संचालन ने, उनकी सुमधुर आवाज में, दर्शको एवं साहित्यकारो द्वारा बहुत ही प्रशंसा को प्राप्त किया।
मंच का शुभारंभ, लखनऊ के कविर्विद श्री उत्तम कुमार तिवारी जी के द्वारा, मां सरस्वती जी की वंदना के द्वारा हुआ
संचालिका महोदया ने प्रथम पायदान पर, बाराबंकी उत्तर प्रदेश के श्रृंगार रस के कविर्विद, श्री गीतेश कुमार जी को आमंत्रित किया। उन्होंने मंच पर आते ही, अपने श्रृंगार ओर प्रेम रस से परिपूर्ण मुक्तकों से, मंच का माहौल बहुत ही सुंदर बना दिया।
उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए मुक्तक,
"तेरे हाथों की तकदीर बन जाऊं मैं।"
"तेरी मांग का सिंदूर बन जाऊं मैं।"
"बिन तेरे मेरा जीवन कटेगा नहीं.."
"तेरी आंखों का नूर भी बन जाऊं मैं।।"
ओर
"तेरे नखरे भी हजार सुनकर ,चुप रहता हूं।"
ओर
"तेरा ही इंतजार, हर घड़ी सताता है।"
"बात तेरी करूं तो, चेहरा नजर आता है।।"
ओर
"तेरी तस्वीर को देखता ही रहूं।"
"बात दिल में दबी, वो कहता रहूं।।"
बहुत पसंद किए गए, उन्होंने ओर भी कई प्रेमरस की कविताएं सुनाई।
श्री गीतेश जी के बाद, मध्य प्रदेश की कवयित्री आदरणीया आरती अक्षय गोस्वामी जी को आमंत्रित किया गया। उन्होंने मां भारती की वंदना में ओर मां भारती की शान में, बहुत ही शानदार और वीररस से परिपूर्ण कविताएं सुनाई गई। जिसमें से,
"सकल जगत से इनकी ऊंची शान रहे।"
ओर
"पहली आभा मार्तंड की, जिस वसुधा पर पड़ती है।"
"कानो में पहली श्रुति जहां पर शंखनाद की पड़ती है।"
बहुत पसन्द की गई।
उनके द्वारा सुनाई गई,
"रणचंडी का रूप ले तुम, मात भवानी बन जाओ।।"
नामक रचना पर, दर्शको ने खूब वाह वाह की।
मंच संचालिका जी ने अगले पायदान पर, निवाड़ी, मध्य प्रदेश के जनकवि श्री शंकर पाल जी को आमंत्रित किया।
उन्होंने,
"लिए लालिमा उदित भान भय।"
"फैली खेतों में किरणों की लाली।।"
नामक रचना सुनाई, जिसमे उन्होंने बसंत ऋतु का बहुत ही शानदार वर्णन किया। उसके बाद उन्होंने एक गजल सुनाई,
"तुम्हे कब रोका, तुम सबसे से मिलो।"
"मगर ये याद रहे, अदब से मिलो।।"
जैसे सुंदर शब्दो मे सजी रचना सुनाई, जिसमें उन्होंने नवयुवतियों को, बहुत ही शानदार सुझाव दिया। उनकी यह रचना बहुत पसंद की गई।
इनके बाद, मंच संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी, मंच पर आते ही, बहुत ही लाजवाब रचना पढ़ी, जिसके बोल थे,
"सांसों के धागों में, यादों के मोती पिरोगे।"
"जब हम ना रहेंगे तुम भी, अपना दामन भिगोगे।।"
उनकी इस रचना को बहुत सराहना प्राप्त हुई।
मंच संचालिका आदरणीया अंजना सिन्हा जी ने भी अपने काव्य पाठ में, शानदार रचना सुनाई।
"सुबह लिखती हूं, मैं शाम लिखती हूं।"
"इस दिल पर, बस तेरा नाम लिखती हूं।।"
इस मुक्तक के बाद उन्होंने, नारी के हृदय की वेदना पर आधारित, लाजवाब कर देने वाली रचना सुनाई।
"तुम हृदय की वेदना को, क्या समझ पाए कभी।"
"पास आकर दर्द मेरा, यार सहलाए कभी।।"
ओर
अपने काव्य पाठ के अंतिम दौर में उन्होंने,
"ना जाने बेखुदी में, कब ये प्यार कर बैठे ।"
"के उनकी याद में दिल, बेकरार कर बैठे।।"
जैसी, मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज में, अपनी शानदार रचना सुनाई।
लखनऊ के प्रख्यात कविर्विद श्री उत्तम कुमार तिवारी जी ने, अपना काव्य पाठ, मुक्तक से आरंभ किया ओर फिर उन्होंने, अपनी पत्नी को समर्पित करते हुए, साहित्य के अलंकारों से सजी, बहुत ही उत्तम रचना सुनाई,
"मेरे शब्दों की अलंकार बन, श्रृंगारित कर दो मेरी कविता"
इसके बाद उन्होंने,
"आखिर ये कैसी पूजा"
जैसी शानदार रचना सुनाकर, मंच का माहौल लाजवाब कर दिया।
श्रीमती पायल पटेल जी ने बताया कि, आज के कार्यक्रम में सभी साहित्यकारों ने, अपनी अपनी श्रेष्ठ रचनाओं का प्रस्तुतिकरण किया। सभी साहित्यकारों ने मंच की शोभा में चार चांद लगा दिया।
श्रीमती पायल पटेल जी ने, अपने समापन उद्बोधन में, सभी साहित्यकारों का एवं मंच से जुड़े सभी दर्शकों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
उन्होंने भारत पत्र से बातचीत में आगे बताया कि, उनका मंच, प्रत्येक सोमवार की रात्रि में, भव्य भजन संध्या का भी आयोजन करता है, जिसे दर्शको द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा हैं और भजन गायक और दर्शक, लगातार इस कार्यक्रम में जुड़ते जा रहे है। उन्होंने कहा कि, काव्य धारा प्रवाह मंच, भजन गायकों और साहित्यकारों को एक ही मंच पर, अलग अलग दिनों में, सभी को वैश्विक मंच उपलब्ध करवा रहा हैं और भारतीय हिंदी साहित्य ओर भारतीय सांस्कृतिक कला को आगे बढ़ाने और इसका प्रचार प्रसार के लिए लगातार कार्य कर रहा है और काव्य धारा प्रवाह मंच को, अपने लक्ष्य में लगातार सफलता प्राप्त हो रही है तथा उनके कार्यक्रम देश के लगभग सभी राज्यों के साथ साथ, विदेशों में भी पसंद किए जा रहे है । उन्होंने मीडिया का भी, उनके कार्यक्रम की रिपोर्टिंग करने के लिए भी धन्यवाद दिया।
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अनुरुद्ध कौरव