भोपाल:- काव्य धारा प्रवाह Facebook मंच द्वारा, 21 दिसंबर की रात्रि में 9 बजे हुए, Live कवि सम्मेलन में, कविर्विदो ने भारत की गौरव गाथा के साथ साथ, प्रेम रस और श्रृंगार रस की कविताओं का, शानदार प्रस्तुतिकरण किया।
काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका श्रीमती पायल जी ने, भारत पत्र के रिपोर्टर अनुरुद्ध कौरव को बताया कि, हर बार की तरह इस बार भी, 47वें Live कवि सम्मेलन का संचालन, मंच के अध्यक्ष एवं जाने माने कथाकार, व्याख्याकार, समाज सेवी एवं कविर्विद आदरणीय श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने किया। मंच संचालक महोदय ने, सभी साहित्यकारों का विस्तृत परिचय देने के साथ साथ, मंच का भी पूर्ण परिचय सभी दर्शकों एवं साहित्यकारो को दिया। उन्होंने प्रत्येक कविर्विद को मंच पर बुलाने से पहले, उनके सम्मान में बहुत ही मौलिक मुक्तक प्रस्तुत किए।
मंच का शुभारंभ भोपाल की कवयित्री आदरणीया सविता बांगड़ जी के द्वारा, मां सरस्वती जी की वंदना के द्वारा हुआ।
मंच पर सर्वप्रथम, हमीरपुर उत्तर प्रदेश से मंच साझा करने आए,आदरणीय श्री बालकिशन जोशी को आमंत्रित किया गया।
उन्होंने अपना काव्य पाठ, बहुत ही लाजवाब छंद के साथ करने के बाद, सुंदर लयबद्ध सवैया सुनाई।
जिसके मन मोहन वाले शब्द कुछ इस प्रकार रहे,
"मोहन बांस की जा बंसी बन, हाय गई ब्रज राज सगी है।"
"चैन पड़े दिन रैन नहीं, अधरन धरी रस लेन लगी है।।"
यह सवैया भगवान श्रीकृष्ण जी को समर्पित थी। उसके बाद उन्होंने, शानदार मुक्तक सुनाते हुए, अपने काव्य पाठ को सुंदर विराम दिया।
हथवास पिपरिया की प्रख्यात कथाकार एवं कवयित्री आ० रोशनी रावत जी ने,
"मिले हों तुम हमे ऐसा, जहां भर की खुशियां पा ली।"
"तुम्हारी प्यार की कान्हा, मैने सरजमी पा ली।।"
जैसी प्यारी रचना सुनाई। इस रचना पर, दर्शको से उन्हें बहुत ही सम्मान प्राप्त हुआ।
इनके बाद, मंडला मध्य प्रदेश के निवासी, प्राचार्य एवं वरिष्ठ प्रख्यात कविर्विद डॉक्टर शरद नारायण खरे जी ने, मंच पर आते ही,
"खूब खिलता रहे, नित चमन मेरा।"
"यही हर जन्म में, बस वतन हो मेरा।।"
जैसे सुंदर मुक्तक द्वारा, अपनी श्रेष्ठ देशभक्ति का शानदार नजारा पेश किया, उसके बाद उन्होंने,
"भारत माता की गुण गाथा, सारे जन गाते है।"
"श्रद्धा भक्ति निष्ठा से, सब नित शीश झुकाते है।।"
जैसी देशभक्ति से ओतप्रोत रचना सुनाने के साथ साथ, शानदार मुक्तक भी सुनाए। जिसे सुनकर मंच का माहौल बहुत ही शानदार हो गया।
भोपाल की प्रख्यात कवयित्री आदरणीया सविता बांगड़, सुर जी ने मंच पर आते ही, लाजवाब मुक्तक सुनाने के बाद,
"जीवन का अनुराग लिखूंगी।"
"प्रेम विरह और त्याग लिखूंगी।।"
जैसे सुंदर शब्दो से संकलित, सुंदर रचना सुनाई, जिसमें उन्होंने अपने मनोभावों को, बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया।
इसके बाद उन्होंने,
"इक तेरा इंतजार बाकी है।"
"जब तलक ऐतबार बाकी है।।"
"नीम की पत्तियों सी है ये दुनिया...,"
"शहद का इंतजार बाकी है।।।"
जैसी शानदार गजल सुनाई ओर उसके बाद उन्होंने लाजवाब मुक्तक सुनाते हुए, अपने श्रेष्ठतम काव्य पाठ का समापन किया।
Live कार्यक्रम के शिखर पर, मंच अध्यक्ष श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने, 1947 में हुए, देश के बंटवारे की व्यथा कथा को, अपनी रचना के रूप में बहुत ही लाजवाब तरीके से पेश किया।
उन्होंने
"आज हमारे भारत की वो अनकथ गाथा गाता हूं।"
"बंटवारे की महा त्रासदी की, कुछ व्यथा सुनाता हूं।।"
जैसे लाजवाब शब्दों में संकलित, बंटवारे पर मार्मिक रचना सुनाकर, बंटवारे का दर्द ताजा कर दिया।
काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने, मंच को साझा करने वाले सभी कविर्विदो का ओर दर्शको का हृदय से आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया।
उन्होंने भारत पत्र से वार्तालाप के दौरान बताया कि, काव्य धारा प्रवाह मंच से, प्रत्येक शनिवार को Live कवि सम्मेलन में, देश के जाने माने साहित्यकार हिस्सा ले रहे है । उनका मंच, हिंदी साहित्य के प्रचार, प्रसार के लिए लगातार सतत प्रयास कर रहा है और इस प्रयास में उन्हें लागतार सफलता भी प्राप्त हो रही है। काव्य धारा प्रवाह मंच के Live कार्यक्रम देश ही नहीं, विदेशी दर्शको द्वारा भी लगातार देखे जा रहे है। उन्होंने अपने उद्बोधन में मीडिया का भी धन्यवाद दिया।
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अनुरुद्ध कौरव