जीवन ओर देश के विविध रंगों की छठा बिखेरते हुए संपन्न हुआ काव्य धारा प्रवाह का लाजवाब 43वाँ कवि सम्मेलन।


भोपाल :- Facebook पर Live संचालित होने वाले, काव्य धारा प्रवाह मंच के कवि सम्मेलन में इस बार, जीवन ओर देश के विविध रंगों की खूब छठा बिखरी। साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से, अलग अलग रंग और रूपो की लाजवाब रचनाओं से, कवि सम्मेलन को एक अनूठा एवं सुंदर साकार रूप दिया।

 भारत पत्र के ग्राउंड जीरो के रिपोर्टर अनिरुद्ध कौरव के अनुसार, इस बार Live कवि सम्मेलन का संचालन, काव्य धारा प्रवाह के अध्यक्ष, कथाकार, कविर्विद, समाजसेवी श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने किया। उन्होंने अपना संचालन, साहित्यकारों और मंच के परिचय से आरंभ किया ओर, मंच पर प्रत्येक कवि के सम्मान में, बहुत ही उत्तम मुक्तक सुनाए और बहुत ही बेहतरीन मंच का संचालन किया।

 काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने, मां सरस्वती जी की अपनी सुंदर सुमधुर आवाज में वंदना करके, कार्यक्रम का विधिवत शुभ आरंभ किया।

मंच संचालक श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने, सर्वप्रथम प्रख्यात कवयित्री आदरणीया सरोज लता सोनी जी को आमंत्रित किया, उन्होंने,

"भौतिकता की चकाचौंध में, हम भूले अपनी जिम्मेदारी है।"
नामक पर्यावरण पर बहुत रोचक रचना सुनाई, ओर इसके साथ ही उन्होंने,

"जिंदगी के गम भुलाने को, मुस्कुराना सीख ले।"
"दुख में चाहे, सुख में हो तू, गुनगुनाना सीख ले।।"

जैसी लाजवाब रचना सुनाकर, मंच का माहौल बहुत ही उत्साहजनक बना दिया।

इसके बाद, भोपाल के हृदय प्रेमी प्रख्यात कवि, श्री संत कुमार मालवीय "संत जी" जी ने मंच पर आकर,

"हम भी होते गुड्डे गुड़िया।"
"खूब छोड़ते हंसी की पुड़िया।।"
जैसी लाजवाब रचना सुनाई, जिसे सुनकर प्रत्येक दर्शक एवं साहित्यकारो को अपना बचपन याद आ गया। इसके साथ ही उन्होंने,

"आज पापा ने डांटा नहीं, शायद वो मुझ से नाराज है।"

जैसी मार्मिक रचना सुनाई, जिसमें एक किशोर नवयुवक के आत्मसंघर्ष का बहुत ही मार्मिक प्रस्तुतिकरण किया गया।
"संत जी" के बाद, भोपाल की मशहूर कवयित्री आदरणीया रचना गुरुजी ने आकर, मंच का माहौल बड़ा ही आनंद दायक बना दिया। उन्होंने,

"हाय जिंदगी तू पहाड़ पर, चंदन बोती है।"
"तुझे लगा है गहरा कांटा, फिर भी मुस्काती है।।"

जैसी रचना सुनाई जिसमे, उन्होंने जीवन के विविध रंगों को, बड़ी ही खूबसूरती से, दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया।

प्रयागराज जैसी पावन भूमि से मंच को साझा करने वाली आदरणीया डॉक्टर पुष्पा श्रीवास्तव जी ने,

"जन्म लिया दक्षिण भारत में, एक अनूठे बालक ने।"
"आठ वर्ष की अल्पायु में, पारंगत था वेदों में।।"

नामक रचना सुनाई, जो सनातन हिन्दू धर्म के शंकराचार्य जी के लिए समर्पित थी, जिसे सुनकर प्रत्येक दर्शक वाह वाह करते दिखे।

मंच के शिखर पर, मंच संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने,
"आ जाओ गिरधारी।"
"सुन विनती हमारी।।"

जैसा प्यारा भजन, अपनी मधुर आवाज में सुनाकर कर, मंच को कृष्णमय कर दिया।

समापन से पूर्व, काव्य धारा प्रवाह मंच के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के मंच संचालक श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने,

"हमारा प्यारा भारत देश।"
"हमारा बहुरंगी परिवेश।।"

जैसी देशभक्ति से परिपूर्ण रचना सुनाकर, गागर में सागर भरने जैसा श्रेष्ठ कार्य किया। उन्होंने अपनी इस रचना में, देश की विविधता को, बहुत ही सरल एवं साधारण तरीके से, एक रचना में पिरोकर, शानदार तरीके से प्रस्तुत किया।

Live कवि सम्मेलन के समापन पर, मंच संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने, सभी साहित्यकारों का, दर्शको का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। ओर साथ में उन्होंने, मंच संचालक श्री दौलत सिंह ठाकुर जी का भी, शानदार, जानदार एवं आनंद से परिपूर्ण मंच संचालन के लिए धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।

 भारत पत्र से बातचीत करते हुए, श्रीमती पायल पटेल जी ने बताया कि, काव्य धारा प्रवाह मंच, उन सभी कविर्विदों के लिए समर्पित है, जिन्हें किसी कारण वश, उचित मंच नहीं मिल पाया हो, ऐसे में हमारा काव्य धारा प्रवाह मंच सदैव, उन सभी वंचित कविर्विदों के लिए खुला है। उन्होंने मीडिया रिपोर्टिंग के लिए , भारत पत्र का भी धन्यवाद दिया।

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