दशहरा स्पेशल Live कवि सम्मेलन का आव्हान,रावण को जलाने से पहले, आज का मानव, अपने भीतर छिपे रावण को पहले जलाए।

भोपाल :- Facebook पेज पर Live कवि सम्मेलन आयोजित करने वाली संस्था, काव्य धारा प्रवाह के, दशहरा स्पेशल कवि सम्मेलन में इस बार, श्रीराम जी की अच्छाइयां स्वीकारने और रावण की बुराइयों को त्यागने का आव्हान किया गया।भारत पत्र के रिपोर्टर अनुरुद्ध कौरव से वार्तालाप करते हुए, श्रीमती पायल पटेल ने बताया कि, इस बार उनके Live कवि सम्मेलन में, दशहरा स्पेशल कवि सम्मेलन रखा गया था, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सो से, कविर्विदो ने मंच को साझा करते हुए, दशहरा स्पेशल कवि सम्मेलन को सार्थकता दी और जनमानस को मर्यादित रहने का आवाहन किया।इस बार के कार्यक्रम के संचालन की बागडोर, मंच अध्यक्ष श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने संभाली हुई थी ओर, उन्होंने मंच का संचालन बहुत ही शानदार तरीके से किया, साहित्यकारों के परिचय ओर उनके आमंत्रण के साथ साथ, इस बार उन्होंने Live जुड़े दर्शको की जिज्ञासाओं का भी शंका समाधान किया।कवि सम्मेलन का आरंभ, मां सरस्वती जी की वंदना से हुआ, आदरणीया हंसा श्रीवास्तव जी ने मां सरस्वती जी की वंदना की।मंच संचालक जी ने सर्व प्रथम राजस्थान भरतपुर के डॉक्टर लोकेश नीरज जी को आमंत्रित किया, उन्होंने, श्रीकृष्ण भगवान को दो मुक्तक समर्पित करते हुए, अपने काव्य पाठ का शुभ आरंभ किया।"सामने अब कोई दुश्मन, मेरे आए तो सही।""वो मेरी आंख से आंख, मिलाए तो सही।।"जैसे शब्दो से निर्मित रचना सुनाई, जिसमें देश प्रेम कूट कूट कर भरा हुआ था।इस के बाद उन्होंने एक बहुत ही प्यारी रचना ओर सुनाई।इनके बाद मंच पर, व्यंग्यकार कवि श्री महेंद्र भट्ट जी को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने आज के दौर पर, मानव प्रकृति पर कटाक्ष करते हुए, छोटे छोटे मुक्तक सुनाए और बाद में उन्होंने,"राम लीला का आयोजन था।""विजयदशमी का प्रयोजन था।।"नामक रचना सुनाई, जिसमें उन्होंने आज के मानव में छिपे रावण पर, बहुत लाजवाब व्यंग्यात्मक रचना सुनाई।मंच को साझा करने वाली आदरणीया हंसा श्रीवास्तव जी ने, मुक्तक सुनाते हुए, अपनी रचना,"राम नाम जीवन आधारा।""राम बिना ना, कोई सहारा।।"सुनाई, जिसे सुनकर माहौल राममय हो गया।मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में आई वरिष्ठ कवयित्री आदरणीया कांति श्रीवास्तव जी ने बहुत ही प्यारा भजन सुनाकर, प्रभु श्रीराम जी के चरणो में अपनी हाजिरी लगाई और मंच को गौरांवित किया।छत्तीसगढ़ से श्री रमाकांत बडराया जी ने मंच पर, अपनी बहुत ही प्यारी रचनाएं सुनाई, उन्होंने तीन छोटी छोटी रचना सुनाकर, गागर में सागर भरने का काम किया, जिन्हें सुनकर सभी वाह वाह करने लगे। उन्होंने मुख्यतः "छोटी छोटी बाते लेकर, आपस में रंजिश रखते क्यों हो।""ये तो एक आग का दरिया है, इसमें झुलसते क्यों हो।।"नामक रचना सुनाकर, जनमानस को प्रेमपूर्वक जीवन निर्वाहन करने का निवेदन किया।मंच का संचालन कर रहे, श्रीरामचरित मानस के व्याख्याकार, कवि, समाज सेवी श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने, मर्यादाओं, संस्कारों ओर आज के परिवेश पर, बहुत प्यारी रचनाएं सुनाई ओर आज की व्यावहारिकता पर लाजवाब कटाक्ष करते हुए, मानव को प्रभु श्री राम जी का चरित्र अपनाने ओर रावण के जैसी बुराइयों को त्यागने का आव्हान किया।श्री दौलत सिंह ठाकुर जी ने, कार्यक्रम के समापन पर, सभी साहित्यकारो का धन्यवाद एवं आभार प्रकट करते हुए, कार्यक्रम का समापन किया।श्रीमती पायल पटेल जी ने, भारत पत्र के रिपोर्टर अनुरुद्ध कौरव से बातचीत के दौरान बताया कि, उनका मंच, काव्य जगत के लिए पूरी तरह समर्पित है। ओर प्रत्येक सप्ताह काव्य ओर हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए, Live कवि सम्मेलन का आयोजन करता है। उन्होंने मंच को साझा करने वाले सभी साहित्यकारों का, दर्शको का ओर भारत पत्र का भी अभार व्यक्त किया।

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