बढ़ती जनसंख्या और जल संरक्षण का महत्व आज के समय में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ज्वलंत मुद्दा है। जैसे-जैसे जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव भी उतना ही बढ़ता जा रहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण संसाधन जल है, जो जीवन के लिए अनिवार्य है। जल संरक्षण, जल संरक्षण बढ़ती जनसंख्या के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि जीने के लिए सांस लेना आवश्यक है। जल की महत्वपूर्ण भूमिका: जल जीवन का मूल स्रोत है। यह न केवल हमारे दैनिक जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि कृषि, उद्योग, और ऊर्जा उत्पादन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए भी अपरिहार्य है। बढ़ती जनसंख्या के कारण जल की मांग में अत्यधिक वृद्धि हो रही है, जबकि दूसरी ओर उपलब्ध जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। आज दुनिया की 70% से अधिक आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहाँ पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। भारत जैसे देशों में, जहाँ जनसंख्या घनत्व अधिक है, जल संकट की समस्या और भी विकट हो जाती है। जलवायु परिवर्तन और अनियमित वर्षा के कारण जल स्रोतों की स्थिति और खराब होती जा रही है। इसलिए, जल संरक्षण अब एक वैश्विक आवश्यकता बन गया है।
बढ़ती जनसंख्या और जल संकट:
बढ़ती जनसंख्या जल संकट को बढ़ा रही है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, पानी की खपत में भी वृद्धि होती है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जल की मांग को पूरा करने के लिए भूजल का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि जल स्तर तेजी से गिर रहा है और नदियों, झीलों, और अन्य जल स्रोतों का सूखना आम हो गया है। एक अनुमान के अनुसार, भारत की कुल जल मांग 2050 तक दोगुनी हो सकती है, जबकि उपलब्धता में कमी आएगी। अगर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले दशकों में जल संकट मानव जाति के अस्तित्व के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।
जल संरक्षण के उपाय:
जल संरक्षण के लिए कई उपाय अपनाए जा सकते हैं,
इनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
1.वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग):
वर्षा जल को संग्रहित करना एक अत्यंत प्रभावी तरीका है जिससे जल संकट को कम किया जा सकता है। यह न केवल भूजल स्तर को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि सूखे के समय भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
2.पानी का पुन: उपयोग (रियूज और रीसायकल):
पानी का पुन: उपयोग और रीसाइक्लिंग एक और महत्वपूर्ण उपाय है। घरेलू और औद्योगिक स्तर पर इस्तेमाल होने वाले पानी को पुन: उपयोग किया जा सकता है।
3.कृषि में जल संरक्षण:
कृषि में जल का अत्यधिक उपयोग होता है। अधिक उत्पादकता के लिए सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) और स्प्रिंकलर सिस्टम जैसी तकनीकों का उपयोग जल की खपत को कम कर सकता है।
4.शहरी जल प्रबंधन:
शहरों में जल की बर्बादी एक बड़ी समस्या है। पाइप लाइनों की लीकेज, ओवरफ्लो और असावधानी से जल का बहुत बड़ा हिस्सा बर्बाद हो जाता है। शहरी जल प्रबंधन के तहत लीकेज की मरम्मत और स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणालियों का उपयोग किया जाना चाहिए।
5.जन जागरूकता:
जल संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना सबसे महत्वपूर्ण कदम है। मुझें ऐसा लगता हैं कि लोगों को जल के महत्व को समझना होगा और इसे बचाने के उपायों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा।जलवायु परिवर्तन और जल संकट:
मेरा मानना है कि जलवायु परिवर्तन जल संकट को और भी विकट बना रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में बदलाव आ रहा है, जिससे कई क्षेत्रों में सूखा और कई क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो रही है। इससे जल संरक्षण की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। वर्षा का अनियमित होना जल संसाधनों के उपयोग को प्रभावित करता है। नदियों में जल प्रवाह की कमी और भूजल स्तर में गिरावट जल संकट को और भी गंभीर बना रहे हैं। सरकार और नीतियाँ:सरकारों को जल संरक्षण की दिशा में ठोस नीतियों और योजनाओं को लागू करना आवश्यक है। जल संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी, प्रोत्साहन, और तकनीकी सहायता दी जानी चाहिए। साथ ही, जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए प्रभावी ढांचे की आवश्यकता है, जो बढ़ती जनसंख्या की जल मांग को पूरा कर सके। भारत जैसे विकासशील देशों में जल संरक्षण को लेकर सरकारें कुछ योजनाएँ लागू कर रही हैं, लेकिन उन पर सख्ती से अमल करना बेहद जरूरी है। सरकारें जल संरक्षण कार्यक्रमों के साथ-साथ भूजल पुनर्भरण और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संचयन की योजनाओं पर अधिक ध्यान दे रही हैं। अंत में यह विचार अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जल संरक्षण बढ़ती जनसंख्या के लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि जीने के लिए सांस लेना। जल का सही उपयोग और उसका संरक्षण न केवल हमें वर्तमान जल संकट से बचा सकता है, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित कर सकता है। जल संरक्षण की दिशा में हर व्यक्ति, समाज और सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी हम इस समस्या का समाधान कर पाएंगे। जल संरक्षण के प्रति हमारी जिम्मेदारी और उसके महत्व को समझते हुए ही हम जल संकट का समाधान निकाल सकते हैं और पृथ्वी को सुरक्षित बना सकते हैं। जल है तो जीवन है, और इसका संरक्षण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
लेखक : (पर्यावरण प्रेमी और सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता हैं।)
मीडिया पंकज कुमार गुप्ता जालौन उत्तर प्रदेश खास खबर