हिंदी भवन भोपाल में प्रभात साहित्य परिषद की काव्य गोष्ठी संपन्न

      
भोपाल/राजधानी की चर्चित संस्था प्रभात साहित्य परिषद द्वारा *नज़र मेें बेईमानी है* विषय पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हिंदी भवन के नरेश मेहता कक्ष में साहित्य मर्मज्ञ राजेंद्र शर्मा "अक्षर" की अध्यक्षता में ,वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जैन" रमण "( विदिशा) के मुख्य आतिथ्य में तथा वरिष्ठ कवियत्री सुनीता शर्मा "सिद्धि" के विशेष आतिथ्य में एवम डॉ. अनीता तिवारी के संचालन में किया गया। 
             इस अवसर पर पिछली काव्य गोष्ठी की चुनी गई सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए दिनेश मालवीय "अश्क" को एवं ग़ज़ल के लिए मनीष श्रीवास्तव "बादल" को *सरस्वती प्रभा सम्मान* से परिषद ने अलंकृत किया। 
              तदुपरांत गोष्ठी के आरंभ में सरस्वती वंदना के पश्चात मनीष श्रीवास्तव "बादल" ने पढ़ा _ कहीं कुछ कम कहीं ज्यादा,मगर सबकी कहानी है। कहूं मै सच यहां हर इक, नज़र में बेईमानी है। वहीं डा .अनिल शर्मा" मयंक" ने पढ़ा_ घरों में घुस रहे कातिल,बिटिया को बचा रखना,लबों पे भाईचारा है, नज़र में बेईमानी है।।वहीं डा अनीता तिवारी ने पढ़ा _ मन आइने सा साफ रखती हूं,ईश्वर पर सदा विश्वास रखती हूं, नज़र में बेईमानी है नहीं मेरी,मैं आंचल अपना सदा बेदाग रखती हूं।। वहीं रमेश नन्द ने पढ़ा_ बहुत दिन बाद आने का शबब पूछा नहीं कोई, नीयत में खोट दिखती है, नज़र में बेईमानी है।। वहीं प्रदीप कश्यप ने पढ़ा_ कपट भीतर भरा जिसके, नज़र में बेईमानी है,नहीं दिल की जरा सी बात भी,उसको बतानी है।।वहीं सुनीता शर्मा " सिद्धि " ने पढ़ा _ छल से भरी तुम्हारी नज़र में बेईमानी है,यही बात अब ज़माने भर को बतानी है।।वहीं हरिओम श्रीवास्तव ने पढ़ा _ दिलों में खार है जिनके, नज़र में बेईमानी है। उन्हें यह कौन समझाए, कि नश्वर जिंदगानी है।।वहीं सूर्यप्रकाश अष्ठाना ने पढ़ा _ दरपण देख के क्यूं,इतनी हैरानी है।धोखा और नज़र में बेईमानी है।।वहीं राजेन्द्र जैन "रमण " ने पढ़ा _ रमण तुम्हें सावधान हो,सब में समझ जगानी है।दूर रहो उनकी नजर से,जिनमें बस बेईमानी है।
कार्यक्रम के अन्त में रमेश नन्द ने सभी का औपचारिक आभार व्यक्त किया।

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