पर्व आया करवा चौथ का, त्यौहार जैसा लग रहा, श्रीं गणेश की रात में उत्सवों का दौर चल रहा!!
शरद रितु में चंदन सी सौम्यता बरसा रहे हैं चांद!
सोलह कलाओं के सौंदर्य में सज रहे घनश्याम !!
सौभाग्य की चंद्रिका से वसुंधरा आलोकित हुई,
नारी के सोलह श्रृंगार से प्रकृति भी मुखरित हुई।
कार्तिक के रजनीश से अमृत सुधा बरस रही ,मोहनी का रूप लिए,रात सुहागन हो गयी!
चांदनी भी सौदामिनी बन,
पति पत्नी को ठग रही!!
करवा चौथ की पावन छटा से प्रेम की गंगा बह रही!!
अनुपम चंद्र ज्योत्सना का कर रही मुख पान !!
वृन्दावन महारास में हर गोपी संग श्याम।
लेखिका - रोशनी रावत पिपरिया नर्मदापुरम
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अनुरुद्ध कौरव