समाधान या व्यवधान अथवा सुविधा या दुविधा

(देवभूमि से भरत सिंह रावत)     
---------------------------------------         
*टिहरी डैम परियोजना एवं विस्थापितों की सुख सुविधा*   देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित प्रमुख विशाल जलाशय है,   

 यह विशाल डेम भागीरथी- भिलंगना नदियों पर निर्मित है और इसकी ऊँचाई 260.5 मीटर (855 फीट) है, जिससे यह विश्व का लगभग उच्चतम आर्क ग्रेविटी डेम है। 
 इसका निर्माण 1978 में शुरू हुआ था और अंततः  2006 में पूरी तरह से संचालित हुआ।

टिहरी डैम का मुख्य उद्देश्य जलविद्युत उत्पादन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति है। डेम की जलाशय क्षमता लगभग 3.2 करोड़ घन मीटर है, जिससे यह उत्तर भारत के लिए महत्वपूर्ण जल संसाधन प्रदान करता है। यहाँ से प्राप्त विद्युत ऊर्जा उत्तर भारत के राज्यों को आपूर्ति की जाती है, जिससे यह ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करता है।

डैम का निर्माण पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी उल्लेखनीय है।  
*इसके कारण पुराना टिहरी शहर और आसपास के गांवों ग्राम खांड, कोटी, जोगयांणा, बागी, पंचकोट, सुनारगांव, कण्डल, दयाराबाग, रामपुर, बिलासौड़, पुनसाडा़, डोभ, बड़कोट,असेना, सिंराई, मालदेव*   गांव को विस्थापित, स्थानांतरित करना पड़ा जो  पथरी, भनियावाला, रायवाला, पशुलोक, टीइस्टेट बंजारावाला किया गया,  जिससे टिहरी की जनसंख्या और सामाजिक  आर्थिक शैक्षिक तानाबाना प्रभावित हुआ। हालांकि, इसके निर्माण से मैदानी क्षेत्र की कृषि और जलवायु पर लाभकारी प्रभाव पड़ा है।

टिहरी डैम का दृश्य अत्यंत आकर्षक है। यहाँ के विशाल जलाशय और चारों ओर की हरियाली एक सुरम्य परिदृश्य प्रस्तुत करते हैं। डेम के आसपास की ऊँचाई पर स्थित ट्रैकिंग पॉइंट्स और बोटिंग के अवसर इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं। यहाँ की शांत और सौम्य जलवायु पर्यटकों को आकर्षित करती है और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद प्रदान करती है।

टिहरी डैम जलवायु, ऊर्जा और पर्यटन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर में अपनी विशेष पहचान रखता है।  
 *कुल मिलाकर टिहरी डैम पर कर्तव्य परायणता निष्ठता ईमानदारी से दृष्टिकोण रखते हुए इसकी उचित देखरेख होती रहे एवं साथ-साथ स्थानीय हित में कार्ययोजना उचित प्रकार से बनकर लागू हो तो जहां एक ओर यह परियोजना भारत सरकार हेतु कामधेनु साबित होगी, वहीं टिहरी गढ़वाल के मूल निवासी स्थानीय युवाओं को रोजगार स्वरोजगार उपलब्ध हो पाएगा एवं जिन बच्चों की पढ़ाई सहित पूरा जीवन चक्र विस्थापन के कारण प्रभावित हुआ क्या उनको आज तक उचित लाभ मिला  ??  इस प्रकरण पर पुनर्वास निदेशालय के जिम्मेदार उच्च अधिकारी, जिम्मेवार जनप्रतिनिधि एवं माननीय  न्यायालय द्वारा समय-समय पर समीक्षा पुनर्विचार हुआ है कि नहीं ??*     
एक बात का यहां पर जिक्र करना आवश्यक है की जिन विस्थापित प्रभावित लोगों के नाम से गांव में मात्र एक दो खेत अर्थात दो नाली भी रही होगी और किसी की 20 खेत अथवा 20 नाली भी रही होगी तो सबको एक ही स्थान पर बराबर भूमि जमीन आवंटित किया गया भले अपनी अपनी चॉइस रुचि सुविधा और असुविधा की दृष्टि अनुसार  किसी ने पथरी (हरिद्वार), रायवाला, भानियावाला (देहरादून) 10 बीघा स्वीकार किया तो किसी ने पशुलोक (ऋषिकेश) और  टीस्टेट बंजारावाला (देहरादून) ढाई बीघा स्वीकार किया ।   
और आज सभी विस्थापित  प्रभावित जन समुदाय गांव की शांति सहयोगी भावना सुरक्षित अच्छा शगुन देने वाली वादियो से बाहर शहरी कोलाहल अशांति असुरक्षा भय के वातावरण में रहने को मजबूर हैं,    *वर्तमान हालात दशा को देखते हुए पहाड़ी संस्कृति के बीच में बाहरी संस्कृति द्वारा घुसपैठ  अतिक्रमण अब सुविधाएं भी दुविधाएं बन बन चुकी हैं 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने