भोपाल :- Facebook पर आयोजित होने वाले साप्ताहिक, Live कवि सम्मेलन में इस बार, गणपति भगवान की वंदनाओ से, मातृभूमि के प्रेम ओर आपसी संबंधों की मधुर स्वर लहरियों से, मंच गुंजायमान हो उठा।
काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका एवं संरक्षिका श्रीमती पायल पटेल ने, भारत पत्र के रिपोर्टर अनुरुद्ध कौरव से वार्तालाप करते हुए बताया कि, इस बार के कार्यक्रम में, हिंदी दिवस के उपलक्ष में, कार्यक्रम में अधिकतर, शिक्षक वर्ग के कविर्विदो ने मंच को साझा किया था और, हिंदी दिवस को और गजानन गणेश भगवान के दिनो को, अपनी रचनाओं के माध्यम से सार्थक एवं सफल बनाया।
काव्य धारा प्रवाह मंच के सचिव आ० श्री अशोक कुमार यादव जी, इस बार के कवि सम्मेलन के मंच संचालक रहे, श्री अशोक कुमार यादव जी का संचालन, बहुत उत्तम रहा।
श्री अशोक कुमार यादव जी ने, सरस्वती जी की वंदना करके, कवि सम्मेलन का बहुत ही सुंदर आरंभ किया।
मंच पर, मध्य प्रदेश के पिपरिया क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय श्री कैलाश सराठे जी को आमंत्रित किया गया।
उन्होंने "बुद्धि विलास" नामक रचना सुनाई, जिसके बोल थे,
"जो कह सका, वो बुद्धि विलास था।"
श्री कैलाश सराठे जी ने, इस रचना को सुनाकर, मंच की बहुत ही बहतरीन शुरुआत की।
उत्तराखंड की देवभूमि से आकर, मंच को साझा करने वाली कवयित्री आदरणीया सुनीता ममगाई जी ने, भारत देश की पावन भूमि और इसके अनुपम प्रेम पर कविता सुनाई,
"निज ध्यान रहे मन में उनका, जो मातृभूमि पर मरते थे।"
इसमें उन्होंने देश के वीरों की गाथा और मातृभूमि की वंदना में , बहुत ही लाजवाब रचना सुनाई।
हथवास, मध्य प्रदेश की शिक्षिका एवं कवयित्री आ० रोशनी रावत जी ने,
"कर रहे हम अर्चनाएं, आवाहन और आचमन से।"
रचना सुनाई, जिसमे उन्होंने मानव के पूजन मनोभावो ओर ईश्वरीय कृपा कैसे प्राप्त हो सकती है, इसका बहुत ही सुंदर वर्णन किया।
इनके बाद पुनः एक बार, आ० सुनीता ममगाई जी को आमंत्रित किया गया, उन्होंने,
"जल थल नभ में बजी बधाई,आए जग में गणपति।"
रचना सुनाकर, भगवान गणेश जी की, बहुत ही प्यारी वंदना की।
मंच संचालक एवं काव्य धारा प्रवाह के सचिव, आ० श्री अशोक यादव जी ने, कुंडलियों के रूप में, बहुत ही सुंदर रूप से गणेश वंदना की।
उन्होंने
"भादो मास और शुक्ल चतुर्थी।"
"घड़ी दोपहरी, आई शुभ तिथि।।"
नामक रचना सुनाई,
इसके बाद उन्होंने,
"गौरी नंदन गणपति, माता सेवा काम।"
"शल्य क्रिया गज मस्तक की, हुआ गजानन नाम।।"
नामक रचना सुनाकर, भगवान गणेश जी के जन्म से लेकर, उनकी बहुत सी लीलाओं का, अपनी लेखनी के द्वारा, बहुत ही सुंदर मंचन किया।
मंच संचालक जी ने, एक बार पुनः, आ० रोशनी रावत जी को आमंत्रित किया,
इस बार उन्होंने,
"ये जिंदगी का सफर, यूं ही चलता रहे।"
जैसे सुंदर शब्दो से निर्मित रचना सुनाई,
ओर इसके बाद आ० रोशनी रावत जी ने,
"साल दर साल यहां, मंजर बदलते जाएंगे।"
जैसी रचना सुनाकर, मंच का माहौल बहुत ही लाजवाब कर दिया।
कार्यक्रम के समापन से पूर्व, श्री कैलाश सराठे जी ने, गणेश वंदना प्रस्तुत की। जिसके बोल थे,
"श्री गणराज मनाऊं!"
"मैं तो श्री गणराज मनाऊं।"
श्री कैलाश सराठे की इस रचना के साथ ही, मंच पर कवि सम्मेलन का बहुत ही सुंदर समापन हुआ।
मंच संचालक आ० श्री अशोक कुमार यादव जी ने, सभी साहित्यकारो एवं कार्यक्रम में जुड़े सभी दर्शकों का अभार व्यक्त करते हुए, सभी का धन्यवाद दिया और, विधिवत रूप से कार्यक्रम का समापन किया।
मंच संथापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने भारत पत्र का अभार एवं धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि, उनका यह तैतीसवां कवि सम्मेलन का Live कार्यक्रम था, जोकि हिंदी दिवस के उपलक्ष में था और यह बहुत ही सार्थक एवं सफल रहा। श्रीमती पायल पटेल जी ने बताया कि, उनका काव्य धारा प्रवाह मंच, देश के प्रत्येक कविर्विद के लिया खुला है, आप आए और मंच पर अपनी रचनाओं का पाठ करके, अपनी आवाज को देश विदेश तक पहुंचाए। उन्होंने बताया कि,काव्य धारा प्रवाह मंच, देश के नवोदित एवं स्थापित सभी साहित्यकारो, कविर्विदो के लिय समर्पित है।
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