दो दशक से परेशान हो रहे हैं धनेरिया कलां सहित अनेक गांवों के किसान- मधु बंसल, मास्टर प्लान की प्रस्तावित सड़कों ने कागजों में तोड़ा दम, बनने के अभी तक दिख नहीं रहे कोई आसार

नीमच। दो दशक पहले वर्ष 2000 में नीमच जिले के विकास के लिए मास्टर प्लान बनाया गया था। जिसमें हिंगोरिया से चंगेरा रोड तक सड़क मार्ग प्रस्तावित था। यह मार्ग व्हाया जयसिंहपुरा, अरनिया कुमार, धनेरिया कला, खड़ावदा होकर चंगेरा स्थित नवीन कृषि मंडी तक बनना था। इसके अतिरिक्त लेवड़ा से चंगेरा सड़क मार्ग एवं खड़ावदा से चंगेरा रोड़ तक भी सड़क बन जाना थी। मगर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन सड़कों को निर्माण तो छोड़िये, प्रस्तावित मास्टर प्लान में वर्णित सड़कों की फाइलों की भी सुध नहीं ली गई। धनेरिया कलां सहित कई गांवों के किसानों व ग्रामीणों की इस समस्या को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री मधु बंसल ने बताया कि अगर इन सड़कों का निर्माण हो गया होता तो चंगेरा स्थित नवीन कृषि मंडी तक किसानों को अपनी फसल उपज ले जाने में दोगुनी मशक्कत नहीं करना पड़ती और ना ही नीमच शहर में इससे यातायात का दबाव बढ़ता। धनेरिया कला व इसके आसपास के किसानों और ग्रामीणों को जावद फंटे और कृषि मंडी पहुंचने के लिए नीमच शहर की आवासीय कालोनीयों बघाना, शक्तिनगर, कृष्णा कालोनी से होकर चौकन्ना बालाजी, गर्ल्स कालेज, गुरुद्वारा चौराहा, कलेक्टर ऑफिस, औद्योगिक क्षेत्र, कनावटी, डूंगलावदा होकर गुजरना पड़ता है जो समय और अर्थ दोनों ही मान से दोगुना नुकसान होता है। बंसल ने कहा कि 22 साल में मास्टर प्लान तो बदल-बदल कर नये हो गये, लेकिन शहर के हाल जस के तस हैं। कागजों में तो करोड़ों खर्च हो गए, लेकिन वास्तविकता में एक सौगात भी ऐसी नहीं है जिस पर कि भाजपा के विधायक और सांसद शान से सर ऊंचा कर सके। हिंगोरिया से चंगेरा रोड़ पूर्व के मास्टर प्लान में भी था और अभी भी मास्टर प्लान में ही है जबकि यह रोड़ पूर्व के मास्टर प्लान में था तब चंगेरा में कृषि उपज मंडी प्रस्तावित भी नहीं हुई थी और जबकि चंगेरा में ये कृषि मंडी बन चुकी है और मुख्यमंत्री स्वयं इसका लोकार्पण करने वाले तब इस सड़क की अहमियत ग्रामीणों के लिए दुगनी हो जाती है। यही हाल कमोबेश लेवड़ा से चंगेरा, खड़ावदा से चंगेरा सड़क मार्ग के निर्माण के लिए भी है। बंसल ने कहा कि इस तरह के अन्य खोखले वादे जिसमें ट्रांसपोर्ट नगर, अत्याधुनिक बस स्टैंड, विस्तारित औद्योगिक क्षेत्र और शहर के चारों तरफ रिंगरोड जैसी सुविधाएं मास्टर प्लान की बड़ी-बड़ी किताबों से निकलकर धरातल पर नहीं उतर पाई हैं। किसानों की आय दोगुनी तो नहीं हुई बल्कि धनेरिया, लेवड़ा, खड़ावदा, चीताखेड़ा, जयसिंहपुरा, और अरनिया कुमार के ग्रामीणों के लिए सड़क की दूरी जरुर दोगुनी हो रही है। इससे इन सभी गांवों के किसान काफी परेशान हो रहे हैं। 13 गांव नीमच जिले में हो जाने थे शामिल, मगर प्रस्ताव भी गया ठण्डे बस्ते- बंसल ने कहा कि नीमच शहर का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से शहरी सीमा से लगे 13 गांवों को शहरी सीमा में शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था जिससे शहरी क्षेत्र तो बढ़ता और जो गांव जुड़ते उनका भी विकास होता और नगर अनुसार सुविधाएं भी मिलती। इसके लिए शहर तथा ग्राम निवेश (टीएनसीपी) ने मास्टर प्लान-2035 के तहत प्रस्ताव बनाया था जो अब भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। शहरी सीमा से लगे ग्राम डुंगलावदा, चंगेरा, खड़ावदा, लेवड़ा, धनेरियाकलां, अरनियाकुमार, जागोली, जयसिंहपुरा, हिंगोरिया, कनावटी, भोलियावास, रावतखेड़ा और जेतपुरा को शामिल किये जाने का प्रस्ताव था लेकिन दो दशक से सिर्फ कागजी खानापूर्ति हो रही हैं। सत्ता में बैठी बीजेपी ने इसको कभी गंभीरता से नहीं लिया। लगातार 22 सालों से सत्तासुख भोग रही भाजपा को जनता की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है। वर्ष 2000 व 2017 में भी मास्टर प्लान लागू होने के बाद भी शहर में बदलाव नहीं दिखता। जबकि नई-नई काॅलाेनियों की बसाहट हो रही है। भाजपा के किसी भी जनप्रतिनिधि के पास कोई विजन नहीं है। बघाना फाटक के पास ओवरब्रिज का निर्माण अब तक नहीं हो सका है। कांग्रेस नैत्री मधु बंसल ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ग्रामीणों की इस समस्या का शीघ्र स्थायी समाधान नहीं किया गया तो जन आंदोलन किया जाएगा। 

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