
देश में पिछले 4 महीने में 18 हजार टन से अधिक कोविड बायोमेडिकल वेस्ट निकला है। सबसे ज्यादा 3,587 टन वेस्ट महाराष्ट्र में मिला है। ये आंकड़े सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जारी किए हैं। बोर्ड के मुताबिक, सिर्फ सितंबर में देशभर में 5500 टन कोविड वेस्ट निकला है। जून, जुलाई और अगस्त के मुकाबले सबसे ज्यादा कचरा सितंबर में निकला है।
बायोमेडिकल वेस्ट में क्या मिला
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश से 18,006 टन कचरे को इकट्ठा करके 198 बायोमेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट की मदद से डिस्पोज किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बायोमेडिकल वेस्ट में पीपीई किट, मास्क, शू कवर, ग्लव्स, ह्यूमन टिश्यू, ब्लड से संक्रमित चीजें, ड्रेसिंग, कॉटन स्वाब, संक्रमित खून से सनी बेड शीट, ब्लड बैग, नीडल्स और सिरिंज मिली हैं।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा वेस्ट अगस्त में निकला
रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में अब तक कोरोनावायरस के 15 लाख मामले सामने आ चुके हैं। यहां से चार महीने में 3,587 टन कोविड वेस्ट निकला है। यहां जून में 524 टन, जुलाई में 1,180 टन, अगस्त में 1,359 टन और सितम्बर में 524 टन कोविड वेस्ट निकला है।
देश की राजधानी दिल्ली में जून में यह आंकड़ा 333 टन, जुलाई में 389, अगस्त में 296 और सितंबर में 382 टन रहा।
इस चीजों को कोविड वेस्ट माना जाएगा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन में साफ है कि कोरोना पेशेंट द्वारा उपयोग की गई हर चीज कोविड वेस्ट नहीं है। ग्लव्स, मास्क, सिरिंज, फेंकी दवाइयों को ही कोविड वेस्ट माना जाएगा। इसके अलावा ड्रेन बैग, यूरीन बैग, बॉडी फ्लुइड, ब्लड सोक्ड टिश्यूज या कॉटन को भी इसमें शामिल किया जाएगा। मेडिसिन के बॉक्स, रैपर, फलों के छिलके, जूस बॉटल को म्युनिसिपल वेस्ट के साथ रखें।

WHO का अनुमान हर महीने मेडिकल स्टाफ को 9 करोड़ मास्क की जरूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि दुनियाभर में हर महीने कोरोना से बचने के लिए मेडिकल स्टाफ को करीब 8 करोड़ ग्लव्स, 16 लाख मेडिकल गॉगल्स के साथ 9 करोड़ मेडिकल मास्क की जरूरत पड़ रही है। ये आंकड़ा सिर्फ मेडिकल स्टाफ का है और आम लोग जिन थ्री लेयर और N95 मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी संख्या तो अरबों में पहुंच चुकी है।

अब बात सड़कों पर पड़े मास्क और ग्लव्स की
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट से इतर सड़कों पर मास्क, पीपीई और इस्तेमाल किए हुए ग्लव्स की तस्वीरें सामने आईं। मवेशियों की सुरक्षा के लिए काम करने वाले संगठन पीपुल फॉर कैटल ऑफ इंडिया के फाउंडर जी. अरुण प्रसन्ना का कहना है कि सड़कों पर कोविड वेस्ट फेंका जा रहा है। गाय, बंदर, बकरी और दूसरे जानवर इसे खा सकते हैं। अगर इनमें से किसी को कोरोनावायरस हुआ तो स्लॉटर हाउस ही जानवरों के जीवन का अंतिम पड़ाव साबित होगा और इंसानों के लिए भी वायरस का नया खतरा पैदा हो जाएगा। ऐसा नजारा मुंबई और कोलकाता में भी देखा गया है।

समुद्र तक पहुंचा कोविड वेस्ट
तीन महीने पहले सी-डाइवर्स ने फ्रांस के समुद्र तट के पास से डिस्पोजेबल ग्लव्स, मास्क और वाइप्स निकाले हैं। इसे डिस्पोज करने के लिए एनासिस आइलैंड वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लाया गया। प्लांट के सुपरवाइजर डेव हॉफमैन का कहना है कि हमें इसका पता तब चला जब कुछ मास्क ऊपर तैर रहे थे।
तट पर भी मास्क का ढेर

फोटो में गैरी स्ट्रोक्स दिखाई दे रहे हैं। गैरी ओशंस-एशिया कंजर्वेशन ग्रुप के सदस्य हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ मुहिम चलाता है। हांगकांग के सोको आइलैंड पर कुछ महीने पहले काफी संख्या में मास्क मिले हैं। गैरी कहते हैं कि हमने इससे पहले इस आइलैंड पर इतने मास्क नहीं देखे। हमें ये मास्क तब मिले, जब लोगों ने 6-8 हफ्ते पहले ही इसका इस्तेमाल करना शुरू किया था। ऐसे नजारे दुनिया के कई हिस्सों में दिख चुके हैं।
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source https://www.bhaskar.com/happylife/news/india-generated-18-thousand-tonnes-of-covid-19-biomedical-waste-in-last-four-months-127809112.html