
आइए मिलते हैं ‘नीट’ के आनंद कुमार माने जाने वाले अजय बहादुर से। जिस तरह ‘सुपर-30’ के जरिए आनंद कुमार गरीब और जरूरतमंद छात्रों को सहारा देकर इंजीनियर बनाने में मदद करते हैं, उसी तरह ओडिशा के भुवनेश्वर में अजय बहादुर भी ऐसे ही छात्रों को डॉक्टर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पिछले तीन साल से चली आ रही उनकी मेहनत आखिरकार रंग लाई। गरीबी और कोरोना को हरा कर इस साल उनकी ‘जिंदगी फाउंडेशन’ के सभी 19 स्टूडेंट्स नीट की परीक्षा में सफल रहे। 2018 में 20 में से 18 और 2019 में सभी 14 विद्यार्थी सफल हुए थे।
अजय बताते हैं- ‘मैं डॉक्टर नहीं बन पाया, लेकिन इन्हें डॉक्टर बनते देखकर लगता है जैसे मेरा सपना पूरा हो रहा है। मैं नहीं चाहता कोई होनहार मेरी तरह सिर्फ पैसों के अभाव में डॉक्टर बनने का सपना पूरा न कर पाए। मेरा यह प्रयास जारी रहेगा ताकि कोई भी बच्चा संसाधनों के अभाव में पीछे न छूट जाए। मैं सुपर-30 के अानंदजी से काफी प्रेरित हुआ। मैं उन्हें पटना से जानता हूं। तीन साल पहले मैं जगन्नाथजी के दर्शन कर लौट रहा था। मेरी नजर फूल बेचने वाली एक बच्ची पर पड़ी। वह माला बनाते हुए अपनी नजर किताबों पर गड़ाए थी।
12वीं कक्षा की इस छात्रा का नाम डिंपल साहू था। उसने बताया कि वह डॉक्टर बनना चाहती है, लेकिन शायद आगे पढ़ाई पूरी न कर सके, क्योंकि पिताजी इस दुकान से परिवार का खर्च नहीं उठा सकते। उस बच्ची की बात सुनकर मैं तीन रात सो नहीं पाया। चौथे दिन मैं उस बच्ची और उसके पिता से मिला। उसके आगे की पढ़ाई की ललक देखकर उसके साथ पहला बैच तैयार किया।
मजदूर की बेटी और सब्जी बेचने वाले का बेटा बनेगा डॉक्टर
जिंदगी फाउंडेशन में इस साल सफल होने वाली अंगुल जिले की खिरोदिनी ने 657 अंक हासिल किए। उसके पिता मजदूरी करते हैं। सत्यजीत साहू ने 619 अंक हासिल किए। उसके पिता साइकिल से घर-घर जाकर सब्जी बेचते हैं। माता-पिता के साथ इडली-वड़ा का ठेला चलाने वाले सुभेंदु परिडा ने 609 और पान की दुकान चलाने वाले वासुदेव पंडा की बेटी निवेदिता ने 591 अंक हासिल किए।
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