क्या कांग्रेस में गुटबाजी को समाप्त कर पाएंगे जीतू पटवारी?

ओमप्रकाश कसेरा
जावद सहित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अभी 4 वर्ष का समय शेष बचा है, और पिछले 21 वर्षों से सत्ता से दूर कांग्रेस के नेता दावा कर रहे हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार का गठन होगा, परंतु प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस नेताओं में गुटबाजी को समाप्त करना है, इस प्रयास वे कितना सफल होते हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा,

विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
जावद विधानसभा मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र की अंतिम 230 विधानसभा सीट है, यह क्षेत्र जन संघ से लगाकर जनता पार्टी एवं भाजपा का गढ़ रहा है जहां पर लगभग 50 वर्ष तक सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी का शासन रहा और 25 वर्ष यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही
और आपसी गुट बाजी के कारण कांग्रेस लगातार 5 विधानसभा चुनाव हार चुकी है, यानी कांग्रेस के स्थानीय नेता ही अपनी पार्टी को धोखा दे रहे हैं, जिससे सत्ता पक्ष के नेताओं की राह आसान हो रही है, फूट डालो और राज करो कि इस नीति से कांग्रेस में कहीं दावेदार हो गए
या उन्हें दावेदार बना दिया गया है,

50 वर्ष भाजपा का शासन रहा,
वर्ष 1957 वीरेंद्र कुमार सकलेचा जनसंघ,
1962 वीरेंद्र कुमार सकलेचा जनसंघ,
1967 वीरेंद्र कुमार सकलेचा जनसंघ,
1977 वीरेंद्र कुमार सकलेचा जनता पार्टी, उस समय प्रदेश में मुख्यमंत्री कैलाश जोशी हुआ करते थे, इमरजेंसी (आपातकाल) के कारण विधानसभा का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए,
1980 वीरेंद्र कुमार सकलेचा भाजपा,
1990 दुलीचंद जैन भाजपा, 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा गिराए जाने के कारण प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार बर्खास्त कर दी गई थी इसलिए जैन भी अपना विधानसभा का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए,
2003 ओमप्रकाश सकलेचा भाजपा,
2008 ओमप्रकाश सकलेचा भाजपा,
2013 ओमप्रकाश सकलेचा भाजपा,
2018 ओमप्रकाश सकलेचा भाजपा,
2023 ओमप्रकाश सकलेचा भाजपा इनका कार्यकाल जारी है,
यानी सकलेचा परिवार पिछले 46 वर्ष से सत्ता में है, 2028 तक इनके कार्यकाल को 50 वर्ष पूरे हो जाएंगे,

25 वर्ष कांग्रेस का शासन रहा,
वर्ष 1952 बद्री दत्त भट्ट कांग्रेस,
1972 कन्हैयालाल नागौरी कांग्रेस,
1985 चुन्नीलाल धाकड़ कांग्रेस,
1993 घनश्याम पाटीदार कांग्रेस,
1998 घनश्याम पाटीदार कांग्रेस,
पाटीदार के विधायक निर्वाचित होने के बाद 20 वर्ष बीत चुके है, और कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बचपन में कांग्रेस पार्टी का विधायक देखा वह आज युवा होकर कांग्रेस पार्टी विधानसभा उम्मीदवार के चुनाव जीतने का इंतजार कर रहे हैं, और जब अधिक प्रदेश में दिग्विजय सिंह सरकार थी उस समय जो कार्यकर्ता युवा थे वह आज उम्र दराज हो चुके हैं, और वह भी आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जीतने की उम्मीद लगा रहे हैं,
परंतु क्या आपसी गुट बाजी के कारण यह उम्मीद पूरी होगी,

कांग्रेस की राजनीति गुट बाजी में उलझ कर रह गई,
2003 में दिग्विजय सिंह सरकार के तत्कालीन मंत्री घनश्याम पाटीदार और ओमप्रकाश सकलेचा का सीधा मुकाबला हुआ, और सकलेचा को 81390, घनश्याम पाटीदार को 54765 मत प्राप्त हुए,
कांग्रेस की हार 26625 वोट से रिकॉर्ड के रूप में हुई, और उसके बाद किसी न किसी कारण से कांग्रेस के उम्मीदवार विधानसभा चुनाव जीतने में असफल रहे,
वर्ष 2008 में कांग्रेस पार्टी ने राजकुमार अहीर को अपना उम्मीदवार घोषित किया, तो भारतीय जनता पार्टी कै भेरूलाल किलोरिया निर्दलीय उम्मीदवार है,
2013 में कांग्रेस पार्टी ने रघुराज सिंह चौरडिया को अपना उम्मीदवार घोषित किया, तो कांग्रेस पार्टी के राजकुमार अहीर निर्दलीय उम्मीदवार रहे,
2018 में कांग्रेस पार्टी ने राजकुमार अहीर को अपना उम्मीदवार घोषित किया, तो कांग्रेस पार्टी के समंदर पटेल निर्दलीय उम्मीदवार रहे,
2023 में कांग्रेस पार्टी ने समंदर पटेल को अपना उम्मीदवार घोषित किया तो भारतीय जनता पार्टी से बगावत कर पूरणमल अहीर निर्दलीय उम्मीदवार रहे, यह एक ऐसा संयौग रहा जिससे लगातार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा,

समंदर को अपनों ने ही डुबो दिया,
समंदर पटेल के साथ उन लोगों ने धोखा किया जिन्होंने उन पर विश्वास किया, 2018 में समंदर पटेल के निर्दलीय चुनाव लड़ने का वह बदला लेना चाहते थे, इसीलिए उन लोगों ने एकजुट होकर समंदर पटेल को धोखा दिया और इसमें वह सफल रहे, यानी समंदर को अपनों ने ही डुबो दिया, बदले की राजनीति आगे भी जारी रह सकती है, और सत्ता पक्ष के नेता भी फूट डालो और राज करो की नीति पर राजनीति कर रहे हैं,

कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी
क्या आगामी विधानसभा चुनाव तक
यहां पर गुट बाजी समाप्त करने में सफल रहेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, इससे पहले दिनांक 26 अप्रैल 2022 को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का आगमन जन जागरण अभियान के अंतर्गत खिमेसरा विहार जावद में हुआ था, उस समय उन्होंने राजकुमार अहीर एवं सत्यनारायण पाटीदार दोनों नेताओं का हाथ मिलकर शपथ दिलाई थी कि वह एक साथ रहकर कांग्रेस का कार्य करेंगे, इसके बाद भी कांग्रेस एक नहीं हुई,
अब प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के सामने यह एक चुनौती है कि वह जावद में कांग्रेस को किस प्रकार एक करते हैं, या फिर कांग्रेस नेताओं की आपसे लड़ाई जारी रहेगी,

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