भोपाल:- facebook पर काव्य धारा प्रवाह मंच द्वारा साप्ताहिक आयोजित होने वाले Live कवि सम्मेलन में इस बार, काव्य विधा के सात रसों की सुगंधरूपी काव्य रचनाओं की रोशनी से, काव्य धारा प्रवाह का मंच प्रकाशमान हो गया।
इस बार काव्य धारा प्रवाह मंच के Live कवि सम्मेलन का 48 वाँ पड़ाव था, जो बहुत ही शानदार तरीके से आयोजित हुआ।
इस शानदार कवि सम्मेलन का संचालन, भोपाल के प्रख्यात साहित्यकार, विद्या वाचस्पति श्री अशोक कुमार गौतम जी ने बहुत ही शानदार तरीके से किया।
मंच पर कार्यक्रम का शुभारंभ महाराष्ट्र की श्रृंगार रस की प्रख्यात कवियित्री आदरणीया प्रीति मिश्रा जी ने, मां वीणा पाणी जी की वंदना करके किया।
अभिनव होम्स भोपाल की कवयित्री आदरणीया अर्चना रावत जी को, मंच पर प्रथम पायदान पर आमंत्रित किया गया। उन्होंने अपना रचना पाठ,
"पर्वत पहाड़ों में शांत रस।"
"हर परिस्थिति में स्वयं को, स्थिर रख।।"
जैसी सुंदर रचना से किया। इस रचना में उन्होंने प्रकृति से लिए सात रसों को, काव्य विधा के सात रसों से जोड़कर, अदभुत रचना सुनाई।
इसके बाद उन्होंने,
"बच्चों के बचपन को सींचो तुम।"
"हाथों से उनके मोबाइल, खींचो तुम।।"
जैसे शब्दो से सजी सुंदर रचना सुनाई, जिसमे उन्होंने मोबाइल के दुरुपयोग पर प्रकाश डाला। उनकी रचनाओं को, सभी साहित्यकारों द्वारा सराहा गया।
नागपुर महाराष्ट्र की कवयित्री आदरणीया प्रीति मिश्रा जी ने, हरि गीतिका नामक रचना सुनाई।
"मझधार सी यह जिंदगी, अनुभवों का सार है।"
"तन जो मिला तुझको मनुज, यह ईश का उपकार है।।"
इनके बाद, भोपाल के वरिष्ठ साहित्यकार श्री अशोक कुमार गौतम जी ने,
"दुनिया में बुरा नाम धराना नहीं अच्छा।"
"मरजाना मगर शर्म उठाना नहीं अच्छा।।"
"जिस देह गेह वंश से, लगता कलंक हो....,"
"उस मूल के पौधे को बढ़ाना, नहीं अच्छा।।"
ओर
"आओ माई फ्रेंड्स, आओ माई डियर।"
"झूम के नाचेंगे, गायेंगे, मनाए न्यू ईयर।।"
जैसे सुंदर गीतों के मुखड़े सुनाए।
ओर
अंत में उन्होंने अपनी एक शानदार रचना सुनाई, जिसका मुखड़ा था,
"आओ चले चितचोर।"
"जहां नहीं रहता है कोई ओर।।"
"ना अंधियारा, ना कोई शोर।"
"प्रेमी चमन दिखे चारो ओर।।"
इस रचना को सुनकर दर्शक वाह वाह करने लगे।
काव्य धारा प्रवाह मंच की संस्थापिका श्रीमती पायल पटेल जी ने,
"मेरे हृदय उठी है हूक।"
"मेरे मन की कोयल गई है कूक"
"मैं वृंदावन जाऊंगी।"
जैसे शब्द रचनाओं से संकलित सुंदर रचना सुनाई, जिसे सुनकर माहौल वृंदावन जैसा हो गया।
कार्यक्रम का समापन, श्रीमती पायल पटेल जी के धन्यवाद उद्बोधन से हुआ। जिसमें उन्होंने कार्यक्रम में जुड़े सभी साहित्यकारों ओर कार्यक्रम में जुड़े सभी दर्शकों का धन्यवाद दिया।
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