रुद्रप्रयाग, गढ़वाल। बाबा केदारनाथ की भूमि से एक पीड़ित व्यक्ति राजेंद्र सिंह रावत जिला रुद्रप्रयाग जो कि विगत 4 वर्ष पूर्व विद्या भारती उत्तराखंड के विद्यालय से विकट स्थिति के कारण घर चले गए थे राजेंद्र सिंह रावत ने अपने जीवन के 35 वर्ष विद्या भारती के विभिन्न विद्यालयों में अपने जीवन का त्याग समर्पण सेवा के रूप में दिया, किंतु इनके साथ एक दुर्घटना घटी इनके जवान बालक जो 26 वर्ष का था उसकी अकस्मात मृत्यु हुई इस महासंकट के समय विद्या भारती उत्तराखंड के पदाधिकारी ने सहयोग नहीं किया विशेष कर वर्तमान मुखिया जो विगत 10 वर्षों से विद्या भारती का कार्य देख रहे हैं उनकी संवेदन शून्यता एवं क्षेत्रवाद जातिवाद की अनुचित गंदी नीति के कारण उनको मजबूरन घर वापस जाना पड़ा, उनका कहना है कि इस प्रकार एक व्यक्ति की तानाशाही के कारण धीरे-धीरे विद्या भारती उत्तराखंड में सिमटते जा रही जिससे संस्था को बहुत नुकसान हो रहा है ।
रुद्रप्रयाग, गढ़वाल। बाबा केदारनाथ की भूमि से एक पीड़ित व्यक्ति राजेंद्र सिंह रावत जिला रुद्रप्रयाग जो कि विगत 4 वर्ष पूर्व विद्या भारती उत्तराखंड के विद्यालय से विकट स्थिति के कारण घर चले गए थे राजेंद्र सिंह रावत ने अपने जीवन के 35 वर्ष विद्या भारती के विभिन्न विद्यालयों में अपने जीवन का त्याग समर्पण सेवा के रूप में दिया, किंतु इनके साथ एक दुर्घटना घटी इनके जवान बालक जो 26 वर्ष का था उसकी अकस्मात मृत्यु हुई इस महासंकट के समय विद्या भारती उत्तराखंड के पदाधिकारी ने सहयोग नहीं किया विशेष कर वर्तमान मुखिया जो विगत 10 वर्षों से विद्या भारती का कार्य देख रहे हैं उनकी संवेदन शून्यता एवं क्षेत्रवाद जातिवाद की अनुचित गंदी नीति के कारण उनको मजबूरन घर वापस जाना पड़ा, उनका कहना है कि इस प्रकार एक व्यक्ति की तानाशाही के कारण धीरे-धीरे विद्या भारती उत्तराखंड में सिमटते जा रही जिससे संस्था को बहुत नुकसान हो रहा है ।