
1. विद्युत जामवाल की देह भी अपने आप में ऐसी ही एक भाषा है, जिसे पढ़ते हुए हम जान पाते हैं कि- संकल्प दृढ़ हों, समर्पण भाव बना रहे, अटूट लगन के साथ यदि खुद को साधें तो कठिन से कठिन चुनौती से भी टकरा सकते हैं। इस बार अहा! अतिथि में पढ़िए विद्युत से सवाल-सिलसिला...
2. चश्मे ने अनेक रूप-रंग बदले हैं। और अब तो बाजार में इतनी तरह के फ्रेम भी उपलब्ध हैं, कि बहुतों के लिए, यह चुनना कठिन हो जाता है कि किसे चुनें, किसे छोड़ें। पढ़िए इस बार पलछिन में ऐनक पर केंद्रित एक दिलचस्प लेख...
3. महिला और पुरुष एक ही मानव प्रजाति के होने के बावजूद सोच और व्यवहार में दो अलग ग्रहों के वासी होते हैं। मदद मांगने और देने के मामले में भी उनका यह अंतर स्पष्ट होता है। पढ़िए पुस्तक ‘मेन आर फ्रॉम मार्स, वीमन आर फ्रॉम वीनस’ से यह एक उपयोगी अंश...
स्त्रियां मदद क्यों नहीं मांगती और पुरुष मदद क्यों नहीं करते !
4. स्टैंडअप कॉमेडियन की खूबी यह होती है कि वो जितनी तैयारी से मंच पर अपने आइटम पेश करता है, उससे कहीं तेजी से वो सामने बैठे दर्शकों और आसपास के माहौल के बीच से चुटकुले गढ़ने का कौशल रखता है। इस बार पढ़िए स्टैंडअप कॉमेडी पर यह रोचक लेख...
130 साल पुराना इतिहास है स्टैंडअप कॉमेडी का, चार्ले केज ने किया था पहला स्टैंडअप
5. सोहन और नव्या को आपस में प्रेम था। किंतु, परिवार को भला यह कब मंजूर था। पढ़िए किस प्रकार सोहन ने अपने संस्कारों के बूते अपने प्रेम को सफल बनाने का प्रयास किया, कहानी नव्या में...
नए समय के प्रेम और पूर्वजों के संस्कारों के बंधन में बंधी कहानी नव्या
6. इस बार कुछ ऐसे ही पर्वतों की सैर पर चलते हैं जो कि खूबसूरती के मामले में अपना कोई दूसरा सानी नहीं रखते हैं। ऐसे ही खूबसूरत पर्वत और उनसे जुड़े रोचक तथ्य को जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें...
विश्व के वे ख़ूबसूरत पर्वत जो दुनिया के हर कोने से प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर खींच लाते हैं
7. क्या इश्क को नाप पाना सम्भव है? क्या यह भी कोई नापजोख की वस्तु है। आखिर इसका पैमाना क्या होगा। प्रेम, इश्क की यही वक्रोक्ति पाठकों को रुचिकर मालूम होगी...
प्रेम का पैमाना क्या होता है, क्या प्रेम की नापजोख सम्भव है !
8. चाय अब महज एक पेय पदार्थ से आगे बढ़कर एक अहसास बन चुकी है। चाय का प्याला एक खयाल की सूरत है। पढ़िए चाय पर केंद्रित एक दिलचस्प लेख जिसमें कई प्रकार की चाय की मिठास है...
चाय का प्याला किसी दरख़्त से कम नहीं, जिस पर पीठ टेककर हम थोड़ी देर ठहरते हैं
9. कश्मीर की तरह ही खूबसूरत और मिठास से भरी है यहां की चाय जिसे कहवा कहते हैं। केसर, दालचीनी, शहद, लवंग और सूखे मेवे आदि जिस पेय में मौजूद हों भला उससे मोहब्बत किए बिना कैसा रहा जाए। इस बार अहा! जिंदगी में पढ़िए इसी कहवे का किस्सा...
रोमकूपों तक को महक और ऊष्मा से भर देने वाली चाय है कहवा
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source https://www.bhaskar.com/magazine/aha-zindagi/news/aha-read-selected-articles-of-life-at-one-click-here-127997616.html