
दैनिक भास्कर समूह ने इंदौर में 128 पेज का अखबार निकाल कर एक और कीर्तिमान रचा है। आत्मनिर्भर इंदौर का यह अंक ऐतिहासिक बन गया है। यह सफलता इस बात पर भी मोहर है कि देश व प्रदेश के अधिकतम शहर अपनी सामान्य स्थिति में लौटने लगे हैं।
128 पेज का आत्मनिर्भर इंदौर अंक संभवत: बीते कई वर्षों में भारत के किसी भी अखबार में अब तक का सबसे बड़ा अंक है।
यह उपलब्धि न सिर्फ दैनिक भास्कर समूह के लिए खास है, बल्कि इस सच्चाई को भी बताती है कि विज्ञापनदाता फिर से प्रिंट मीडिया की ओर विश्वास के साथ लौट आए हैं। इससे ये भी जाहिर हो रहा है कि विभिन्न कारोबार पटरी पर लौटने लगे हैं।
इस उपलब्धि के बारे में बताते हुए गिरीश अग्रवाल ने कहा ‘128 पेज के इस संस्करण में पूरी तरह से आत्मनिर्भर भारत की थीम समाई हुई है। रियल एस्टेट, टू व्हीलर, फॉर व्हीलर ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, लाइफस्टाइल, एजूकेशन, सरकार और सोशल एडवरटाइजर्स अपने-अपने सेक्टरों की विज्ञापन कैटेगरीज में आत्मनिर्भर इंदौर का लाभ उठाने के लिए आगे आए हैं।’
इंदौर के स्थानीय संपादक मुकेश माथुर ने कहा कि ‘यह संस्करण पाठकों के नजरिये से शानदार है, इसमें बेहतरीन पठनीय सामग्री है, जो हमारे पाठकों के लिए तोहफा जैसा है। दैनिक भास्कर में हम हर रोज खबरों और जानकारियों को इस तरह से प्रस्तुत करते हैं, जिसे पाठक अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल कर सकें।’
इंदौर के यूनिट हेड नरेश प्रताप सिंह ने कहा कि "हमें पूरा विश्वास है कि यह संस्करण विज्ञापनदातों और ग्राहकों के बीच सकारात्मक सोच को बढ़ाएगा।" और इससे बाजार में सेल बढ़ेगी।
भारत में न्यूजपेपर इंडस्ट्री अपने भाषाई प्रकाशनों के साथ फिर से कोरोना से पहले वाली स्थिति में लौट आई है। सर्कुलेशन लगभग कोरोना से पहले वाले स्तर तक पहुंच गया है। इसके पीछे भारत के नॉन-मेट्रो शहरों की ताकत है। हाल ही में प्रकाशित EY की रिपोर्ट में बताया गया है कि, "नॉन मेट्रो बाजार ही भारत की रिकवरी को बढ़ावा देंगे। उम्मीद की जा रही है कि ग्राहक ज्यादातर उन कैटेगरीज में खर्च करेंगे जो नॉन मेट्रो में आती हैं। इन बाजारों में टीवी, फ्रिज, वाॅशिंग मशीन, वाहन और लाइफस्टाइल जैसी वस्तुओं पर खर्च करने की ओर ज्यादा झुकाव है।
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source https://www.bhaskar.com/national/news/dainik-bhaskars-128-page-edition-atmanirbhar-indore-heralds-the-comeback-of-advertisers-127724830.html