
कोरोनावायरस की वजह से पूरे देश में लगे लॉकडाउन के करीब दो महीने बाद मई के पहले हफ्ते में एक रिपोर्ट आई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की इस रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन से देश के खुदरा व्यापारियों को करीब 5.50 लाख करोड़ रुपए के कारोबार से हाथ धोना पड़ा है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि करीब 1.5 करोड़ खुदरा व्यापारियों को आनेवाले कुछ महीनों में ही अपने व्यापार को स्थायी रूप से बंद करना होगा।
ये आकलन मई के पहले हफ्ते तक का था, जबकि 24 मार्च से देशभर में लगने वाला लॉकडाउन 30 जून तक चला। इसके बाद शुरू हुई अनलॉक की प्रक्रिया, जिसमें अभी भी कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की रिपोर्ट में जिन आशंकाओं की तरफ इशारा किया गया, उसके असर की कहानियां पूरे देश में मिल जाएंगी।
एक रिपोर्ट मथुरा से...
कृष्ण जन्मभूमि का ये इलाका पूरे मथुरा में सबसे खास है, सबसे ज्यादा व्यस्त रहता है और लॉकडाउन से पहले यहां हर दिन करोड़ों का व्यापार होता था। इसी व्यस्त और अपने व्यापार के लिए चर्चित इलाके में, मंदिर के ठीक सामने बनवारी लाल जैन पिछले दस साल से ‘कन्हाई फूड्स और जैन भोजनालय’ चला रहे थे। यहां एक साथ चालीस से पचास लोगों के बैठकर खाने की व्यवस्था थी। लगभग इतने ही नौकर चौबीसों घंटे काम करते थे। जन्माष्टमी के वक्त चौबीसों घंटे ये भोजनालय यात्रियों को खाना खिलाता था, लेकिन लॉकडाउन ने सब बदल दिया।

बनवारी लाल जैन कहते हैं, ‘आप ही देखिए। मैंने अपने भोजनालय को किराने की दुकान में बदल दिया है। क्या करता? पिछले तीन महीने से यात्री नहीं आ रहे हैं। लॉकडाउन खुला तो भी पुलिस इलाके को हर कुछ दिन में बंद कर देती है। जब खाना खाने वाले ही नहीं हैं तो भोजनालय कैसे चलेगा? इसी वजह से मैंने भोजनालय को किराने की दुकान में बदल दिया। कम से कम खोल तो सकेंगे।’
भोजनालय के बाहर और अंदर अभी भी वो बोर्ड लगे हैं, जिन पर इसकी पुरानी पहचान आबाद है और जिससे पता चलता है कि यहां उत्तपम, पूरी-भाजी से लेकर पाव-भाजी तक मिलता था।
भोजनालय को किराने की दुकान में बदलने की प्रक्रिया अभी चल ही रही है। बनवारी लाल काउंटर पर बैठे हैं और एक लड़का सामान जमा रहा है। दुकान में काम करने वाले लड़के की तरफ इशारा करके बनवारी लाल कहते हैं, ‘मेरा बेटा है। 12वीं पास की है। स्कूल बंद है तो यहां आ जाता है। एक समय में इस जगह पर चालीस-पचास मजदूर थे। आज देखो, हम हैं और हमारा बेटा है। पिछले महीने सबको निकालना पड़ा।’
बनवारी लाल जैन को इलाके में ‘सेठ जी’ बुलाते हैं। कुछ महीने पहले तक तो उन्हें ये कहलाना पसंद था, लेकिन अब वो इससे चिढ़ने लगे हैं। बीच-बीच में अपने बेटे को निर्देश देते हुए बनवारी लाल कहते हैं, ‘सब सेठ बुलाते थे। अभी भी कहते हैं। अब अच्छा नहीं लगता। सेठाई तो गई। अभी तो जीवन निकल जाए वही बहुत है। आप विश्वास नहीं करेंगे, मैंने पिछले तीन महीनों से इस मकान का किराया तक नहीं दिया है। यहां जो लोग काम करते थे, उनसे हाथ जोड़ना पड़ा। इस सब के बाद कैसी सेठाई?’

लॉकडाउन से पहले होने वाले व्यापार के बारे में पूछने पर वो कोई सीधा-सीधा जवाब तो नहीं देते, लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि भीड़ इतनी रहती थी कि भोजनालय के बाहर बैरीकेड लगाना पड़ता था।
जब हमने सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद के बारे में पूछा तो उनके चेहरे का हाव-भाव बदल गया। उन्होंने हाथ से कैमरा बंद करने का इशारा किया और काउंटर से बाहर आकर, एक किनारे में ले जाकर धीरे से बोले, ‘सरकार केवल बोल रही है। उसे भी पता है कि देना कुछ नहीं है और हमें भी पता है, उनसे कुछ नहीं मिलने वाला। ये बात मैं सबके सामने नहीं कह सकता। व्यापारी हूं ना। सबसे पहले धंधा देखना पड़ता है।’
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source https://www.bhaskar.com/db-original/news/mathura-up-coronavirus-news-updates-kanhai-foods-bhojanalya-owner-banwari-lal-jain-speaks-to-dainik-bhaskar-over-market-conditions-127626140.html