शिक्षा के साथ-साथ अब बच्चों को संस्कारों की शिक्षा भी दी जा रही है। भोपाल के अनेक विद्यालयों में हाल ही में दादाजी परिवार की प्रेरणा से एक विशेष पहल की शुरुआत की गई, जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ कराया जा रहा है और सप्ताह में एक दिन मनका रामायण का अध्ययन भी करवाया जा रहा है।
यह प्रयास केवल धार्मिक नहीं, बल्कि नैतिक शिक्षा और जीवन मूल्यों को बालमन में रोपने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। आयोजकों का मानना है कि बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में आध्यात्मिक सोच और गुरुकृपा की समझ अत्यंत आवश्यक है।
'मनका रामायण' एक सरल और रोचक शैली में लिखित राम कथा है, जो बालकों के लिए उपयुक्त है। इसके माध्यम से बच्चे न केवल धार्मिक प्रसंगों से परिचित हो रहे हैं, बल्कि उनमें अनुशासन, त्याग, भक्ति और परोपकार जैसे गुण भी विकसित हो रहे हैं।
बच्चों ने भी इस पहल को बहुत उत्साह से अपनाया है। एक छात्रा ने कहा, "हर सुबह हनुमान चालीसा पढ़ने से मुझे दिनभर सकारात्मकता महसूस होती है।" वहीं एक अन्य छात्र ने बताया, "मनका रामायण से मुझे भगवान राम के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है-जैसे कि अपने माता-पिता की आज्ञा मानना और दूसरों की मदद करना।"
विद्यालयों के शिक्षकों ने बताया कि इस पहल के बाद बच्चों में एकाग्रता, शांति और सहअस्तित्व की भावना बढ़ी है। अभिभावकों का भी कहना है कि घर में बच्चों के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन आया है। बच्चे अब घर में भी भक्ति गीत गाते हैं और अपने बड़ों की बात मानने लगे हैं।
यह पहल शिक्षा और संस्कृति का अद्भुत संगम बनती जा रही है, जो आने वाली पीढ़ियों में संस्कारों की नींव को मज़बूत कर रही है।
आरती नामदेव, भोपाल
Tags
अनुरुद्ध कौरव