प्रेस विग्यप्ति - दीवाली अपनों के साथ मनाये बिना बटाकों के ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहें डॉ रघुराज प्रताप सिंह।

दीवाली का पर्व भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो प्रकाश, उमंग, और अपनेपन का प्रतीक है। हर वर्ष लोग इस अवसर पर अपने परिवार, मित्रों और प्रियजनों के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में दीवाली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण ने पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। ऐसे में दीवाली का त्योहार मनाते हुए पर्यावरण की सुरक्षा का ख्याल रखना हम सबकी जिम्मेदारी बन जाती है।
पटाखों से होने वाले नुकसान पटाखे जलाने का असर केवल आस-पास के वातावरण पर ही नहीं बल्कि मनुष्य और जानवरों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। पटाखों के जलने से भारी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है, जिसमें मुख्य रूप से सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, और भारी धातुएँ जैसे रसायन वातावरण में फैल जाते हैं। ये प्रदूषक न केवल सांस लेने में कठिनाई पैदा करते हैं, बल्कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और अन्य सांस संबंधी रोगों को भी बढ़ावा देते हैं।वातावरण में मौजूद कण जब हवा में घुलकर हमारी साँसों के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं, तो इससे रक्त संचार प्रणाली और हृदय पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह प्रदूषण अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। साथ ही, पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के कारण पशु-पक्षी भी भयभीत हो जाते हैं और उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।पटाखों के जलने से निकलने वाला कचरा भी एक बड़ी समस्या है। ये कचरा जगह-जगह फैलकर सार्वजनिक स्थानों की सफाई और सौंदर्य को बिगाड़ता है। इसके अतिरिक्त, कई पटाखों के अवशेष पानी में घुल जाते हैं, जिससे जल प्रदूषण भी बढ़ता है।

पटाखों के बिना दीवाली मनाने के फायदे। 

अगर हम पटाखों के बिना दीवाली मनाने का संकल्प लें, तो इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, बल्कि यह हमारे लिए भी फायदेमंद साबित होगा।

पटाखों के बिना दीवाली मनाने से निम्नलिखित लाभ होते हैं। 

1.स्वास्थ्य की सुरक्षा - पटाखों के जलने से होने वाले प्रदूषण से बचाव होगा, जिससे हम स्वस्थ रहेंगे। सांस की बीमारियाँ और एलर्जी से ग्रसित लोग खुली हवा में साँस ले सकेंगे।

2.पर्यावरण की सुरक्षा - पटाखों के कारण होने वाला वायु और ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा, जिससे पर्यावरण साफ और शुद्ध रहेगा। इससे पशु-पक्षी भी सुरक्षित रहेंगे।

3.कचरा कम होगा - पटाखों के जलने से उत्पन्न होने वाला कचरा नहीं फैलेगा, जिससे साफ-सफाई में सुधार होगा और जल स्रोत प्रदूषित होने से बचेंगे।

4.ध्वनि प्रदूषण में कमी - ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा, जिससे बुजुर्गों, बच्चों, और पशु-पक्षियों के लिए वातावरण शांतिपूर्ण रहेगा।

पटाखों के बिना दीवाली मनाने के तरीके। 

पटाखों के बिना भी दीवाली को खुशहाल और यादगार तरीके से मनाया जा सकता है। इसके लिए कई वैकल्पिक तरीके अपनाए जा सकते हैं।

1.दीयों और मोमबत्तियों से सजावट: पारंपरिक दीयों का इस्तेमाल करके घर को सजाएँ। इससे वातावरण भी साफ रहेगा और एक सुंदर और सुखद अनुभव मिलेगा। मोमबत्तियाँ भी सुंदरता में चार चाँद लगा सकती हैं, लेकिन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों का उपयोग न करें।

2.फूलों और रंगोली से सजावट - रंगोली बनाकर घर के आंगन और दरवाजों को सजाएँ। फूलों का उपयोग करके भी आप अपने घर को स्वाभाविक और प्राकृतिक सुंदरता दे सकते हैं। यह न केवल घर को सुंदर बनाता है बल्कि एक सकारात्मक ऊर्जा भी उत्पन्न करता है।

3.परिवार के साथ समय बिताएँ - दीवाली का असली मतलब अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियाँ बाँटना है। इस दिन का उपयोग अपने प्रियजनों के साथ बिताएँ, उनसे बातें करें, और पारंपरिक खेल खेलें। इससे आपसी संबंध मजबूत होंगे और एक यादगार समय बनेगा।

4.पारंपरिक पूजा-पाठ - दीवाली के दिन लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन का विशेष महत्व है। पारंपरिक पूजा-पाठ करके आप अपनी धार्मिक आस्था को व्यक्त कर सकते हैं और इसे हर्षोल्लास से मना सकते हैं।

5.मिठाई और पकवान - दीवाली का सबसे बड़ा आकर्षण मिठाईयाँ और स्वादिष्ट पकवान होते हैं। घर में ही स्वस्थ और स्वादिष्ट मिठाई और स्नैक्स बनाकर अपनों के साथ बाँटें।

6.दूसरों की मदद करें - दीवाली पर जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करना एक महान कार्य है। आप गरीब बच्चों को मिठाई, कपड़े, या अन्य जरूरी सामान बाँट सकते हैं। इससे आपके मन को शांति और सुकून मिलेगा।

7.गिफ्ट एक्सचेंज - आप अपने दोस्तों और परिवार को पर्यावरण के अनुकूल गिफ्ट दे सकते हैं जैसे पौधे, हाथ से बने वस्त्र, या पुनर्नवीनीकरण उत्पाद। इससे न केवल आप अपने रिश्ते को मजबूत बनाएंगे बल्कि पर्यावरण को भी बचाएँगे।

पटाखों के बिना दीवाली का संदेश। 

यह सच है कि पटाखों के बिना दीवाली मनाना एक नई सोच है, लेकिन इस बदलाव को अपनाना हमारे और हमारे पर्यावरण के लिए बेहद जरूरी है। कई शहरों में दीवाली के बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में गिरावट दर्ज की जाती है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में, यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें और दीवाली को एक स्वच्छ और सुरक्षित तरीके से मनाएँ।वर्तमान में प्रदूषण का स्तर पहले से ही गंभीर स्थिति में है। अगर हम अपने हिस्से का योगदान देकर इसे नियंत्रित करने में मदद करें, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए हम एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण छोड़ सकते हैं। पटाखों के बिना दीवाली मनाकर हम उन्हें एक स्वस्थ परंपरा की सीख भी देंगे, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा।

निष्कर्षत - दीवाली का पर्व हमें प्रकाश, सत्य और सच्चाई का संदेश देता है। इस दिन हम अपने मन और घर को अंधकार से निकालकर रोशनी में लाते हैं। ऐसे में, यह जरूरी है कि हम इस रोशनी का आनंद बिना किसी हानिकारक गतिविधि के लें। पटाखों का इस्तेमाल न करके हम एक सशक्त संदेश दे सकते हैं कि दीवाली का असली आनंद अपनों के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटने में है, न कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने में। हम सब मिलकर एक सुरक्षित और पर्यावरण के प्रति जागरूक दीवाली मना सकते हैं। आइए, इस बार दीवाली पर एक सकारात्मक बदलाव लाएँ और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएँ। इस तरह हम न केवल अपने आसपास के पर्यावरण को सुरक्षित रखेंगे बल्कि अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली का मार्ग भी तैयार करेंगे।

मीडिया पंकज कुमार गुप्ता जालौन उत्तर प्रदेश 

लेखक : पीपल मैन ऑफ़ इंडिया के नाम सें विख्यात हैं और पर्यावरणविद हैं।

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