तेलंगाना के कांचा गाचीबोवली जंगल को काटना यानी मानवता एवं प्रकृति का सर्वनाश हैं: पीपल मैंन डॉ. रघुराज प्रताप सिंह पर्यावरणविद ने जताई चिंता।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और वन्यजीवों की रक्षा करना हमारे समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है। लेकिन जब हम इन संसाधनों का दोहन करते हैं, तो केवल हम अपनी वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकता की पूर्ति नहीं करते, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संकट उत्पन्न करते हैं। तेलंगाना राज्य में कांचा गाचीबोवली जंगलों को काटने की योजना एक ऐसा कदम है जो न केवल प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है, बल्कि मानवता के लिए भी अत्यधिक हानिकारक साबित हो सकता है। इसे मानवता एवं प्रकृति के लिए सर्वनाशकारी कदम होगा अगर हम ऐसे जंगलों कों अपने भौतिक विकास के लिए काटते रहें तो। कांचा गाची बोवली जंगल का महत्व: कांचा गाची बोवली जंगल तेलंगाना के एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक वन क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। यह जंगल न केवल जैव विविधता का धरोहर है, बल्कि यहां के वृक्षों और वनस्पतियों का जीवन चक्र स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में कई प्रकार के पक्षी, कीड़े-मकोड़े और अन्य वन्यजीवों की प्रजातियाँ निवास करती हैं, जो इस वनस्पति की संरचना के लिए अनिवार्य हैं। जंगल के भीतर की नदियाँ और जलाशय भी आसपास के क्षेत्रों में जलवायु संतुलन बनाए रखते हैं, जो कि किसानों और ग्रामीणों के लिए जीवन रेखा के रूप में कार्य करते हैं। जंगलों का कटाव: एक घातक कदम जंगलों का कटाव न केवल पर्यावरणीय संकट को बढ़ाता है, बल्कि इसके दूरगामी नतीजे समाज और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ते हैं। जंगलों का अस्तित्व हमारे जीवन के सभी पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है—वे जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और जल की आपूर्ति बनाए रखते हैं। जब हम इन जंगलों को नष्ट करते हैं, तो न केवल हमें ये लाभ मिलना बंद हो जाता है, बल्कि इससे वन्यजीवों का आवास भी समाप्त हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो सकती हैं, और पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा हो सकता है। कांचा गाची बोवली जंगल का कटाव: पर्यावरणीय प्रभाव कांचा गाची बोवली जंगल को काटने से पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यधिक नुकसान हो सकता है। जंगलों के कटने से न केवल कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कम होगा, बल्कि इसके साथ ही पर्यावरणीय असंतुलन भी बढ़ेगा। इससे स्थानीय जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, और मौसम संबंधी संकटों जैसे बाढ़ और सूखा की घटनाएँ अधिक बढ़ सकती हैं। इसके अलावा, जंगलों के कटाव से मृदा का क्षरण होगा, जिससे कृषि योग्य भूमि की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।समाज पर प्रभाव कांचा गाची बोवली जैसे जंगलों का कटाव केवल पर्यावरणीय नुकसान तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के जीवन पर भी गंभीर असर डालता है। ये जंगल न केवल वन्यजीवों का घर होते हैं, बल्कि इनमें रहने वाले लोग भी इन जंगलों पर निर्भर रहते हैं। वन्य संसाधन जैसे लकड़ी, औषधियाँ, और अन्य प्राकृतिक सामग्री उनकी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं। जब इन जंगलों को काटा जाता है, तो इन समुदायों का जीवन पूरी तरह से प्रभावित होता है। इसके अलावा, यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुँचाता है क्योंकि जंगलों से मिलने वाले संसाधन कृषि, हस्तशिल्प, और अन्य उद्योगों के लिए आवश्यक होते हैं। आखिरकार, मानवता का संकट यह केवल पर्यावरण की रक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि यह मानवता का सवाल भी है। यदि हम आई पार्क और अन्य भौतिक सुविधाओं के लिए विशाल जंगल कों काट देंगे तो जंगल में निवास करने वाले जंगली पशु पक्षी कँहा जाएंगे उनके आवासों कों नष्ट करना यानि अपने भविष्य कों नष्ट कटना हैं क्योंकि प्रकृति के साथ इस प्रकार का अत्याचार जारी रखना, न केवल हम अपने वर्तमान को संकट में डालेंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवन को कठिन बना देंगे। जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, वन्यजीवों की विलुप्ति, और प्राकृतिक आपदाओं की घटनाएँ इसी का परिणाम हैं। जब हम प्रकृति के संसाधनों का दोहन करते हैं और उसे नष्ट करते हैं, तो हम अपनी और अपनी आने वाली पीढ़ियों की जीवनदायिनी से खिलवाड़ कर रहे होते हैं। जंगलों का संरक्षण: एक ज़रूरी कदम मेरा मानना हैं हम सभी को मिलकर जंगलों की रक्षा करने के लिए संकल्पित होना चाहिए। सरकार, समाज और सभी नागरिकों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि जंगलों की कटाई को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। इसके लिए वन्यजीवों की रक्षा, जंगलों की पुन: बृक्षारोपण, और पर्यावरणीय शिक्षा का प्रसार करना अत्यंत आवश्यक है। एक ऐसी नीति की आवश्यकता है जो जंगलों के संरक्षण और सतत विकास को सुनिश्चित करे। कांचा गाची बोवली जंगल की रक्षा करना केवल हमारे पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे भविष्य के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। यदि हम इन जंगलों को नष्ट करने के बजाय उन्हें संरक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो हम न केवल अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करेंगे, बल्कि हमारे आने वाले पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित और संतुलित वातावरण सुनिश्चित कर पाएंगे। कांचा गाची बोवली जंगलों का संरक्षण और उनका संवर्धन हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि यह कदम न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित और संपन्न भविष्य का निर्माण करेगा मैं मान्यनीय उच्चतम न्यायलय कों धन्यवाद देता हुँ जो आपने इसकी काटवाई कों स्थगित कर दिया मुझें पूर्ण विश्वास हैं की आप भारत की जैवविविधता,परिस्थितिकी एवं जंगलों के रक्षा के लिए न्यायोचित कदम उठाओगें और इस जंगल कों बचाने का कार्य करोगे जिससे जीव जंतुयों एवं पशु पक्षयों के आवास कों बरकरार रखा जा सकें जिससे जलवायु परिवर्तन कों कम किया जा सकें और मानवता एवं प्रकृति की रक्षा की जा सकें।

लेखक : डॉ रघुराज प्रताप सिंह (पीपल मैन ऑफ इंडिया/पर्यावरणविद संस्थापक रघुराज पीपल मैन फाउंडेशन।)

संवाददाता पंकज कुमार गुप्ता जालौन उत्तर प्रदेश

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