उरई/जालौन - होलिका दहन विशेष पर्व

होलिका दहन, हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें होली के एक दिन पहले यानी पूर्व सन्ध्या को होलिका का सांकेतिक रूप से दहन किया जाता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन की कहानी, असुर राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है. इस कहानी के मुताबिक, होलिका को भगवान शंकर से वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जल सकती. लेकिन, भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया. तभी से होलिका दहन किया जाने लगा. 
होलिका दहन की कहानी: होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती. 
हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे. 
होलिका उस चादर को ओढ़कर प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता पर बैठ गई. दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद की जान बच गई और होलिका जल गई. तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा. होलिका दहन के बारे में कुछ और बातें: होलिका दहन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन किया जाता है. होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा भी की जाती है. होलिका दहन के दिन लोग राक्षसी होलिका को जलाने की खुशियां मनाने के लिए आग जलाते हैं।

संवाददाता पंकज कुमार गुप्ता जालौन उत्तर प्रदेश

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