प्रयागराज में साथी अधिवक्ताओं के साथ पुलिस द्वारा मारपीट की गई।

पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद, न्याय प्रशासन भी मुर्दाबाद...

प्रयागराज में साथी अधिवक्ताओं के साथ पुलिस द्वारा मारपीट की गई, बेइज्जती की गई, बैंड को फाड़ा गया, एडवोकेट यूनिफॉर्म फाड़ी गई, मैं पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं से अपील करती हूं कि अब तो जग जाओ, सभी को आवाज उठानी होगी, अपना स्वार्थ त्यागना होगा। 

1 - पूरा न्याय प्रशासन इसलिए मुर्दाबाद है क्योंकि अब कहां गई हाईकोर्ट की स्वतः संज्ञान ( Suo Moto ) की शक्ति, यह अधिवक्ताओं का दर्द है इसमें न्यायाधीशों को पीड़ा क्यों होगी ?

2 - जब न्यायाधीश एक अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसाय करते हैं तब तक तो अधिवक्ताओं का दर्द पता होता है और बैंच में पद धारण करते ही जैसे ही नाम के आगे माननीय लगता है फिर सब भूल जाते हैं।

3 - अब पुलिस के अंदर अधिवक्ताओं की एकता का बिल्कुल भी भय नहीं रहा है क्योंकि उनको पता है हमारे बीच के अधिवक्ता साथी ही उनकी सहायता करने के लिए तैयार हैं।

4 - जब अधिवक्ताओं के साथ मारपीट हो रही थी तो आप देख सकते हैं कि कोई भी मारपीट कर रहे पुलिसकर्मियों को नहीं रोक रहा था क्योंकि सभी पुलिसकर्मी अधिवक्ताओं से द्वेष मानते हैं और एक होकर रहते हैं।

5 - मेरी नजर में सभी अधिवक्ताओं का सम्मान अब प्रयागराज के अधिवक्ताओं के हाथ में है, शायद करीब 40,000 अधिवक्ता हैं प्रयागराज में जिनका भय भी इस घटना के बाद पूरी तरह से समाप्त हो चुका है।

6- हमारे अधिवक्ता साथियों को एक एफ.आई.आर. और निलंबन रूपी लॉलीपॉप पकड़ा दिया गया है जिससे बहुत से पदाधिकारी फूले नहीं समा रहे हैं जैसे उन्होंने अपनी बेइज्जती का बदला ले लिया है, मैं व्यक्तिगत रूप से बिल्कुल भी सन्तुष्ट नहीं हूं,
मेरे अनुसार तो वहां उपस्थित सभी पुलिस कर्मियों और अधिकारियों की बर्खास्तगी होनी चाहिए और उन पर कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय द्वारा तत्काल कर देनी चाहिए। 

7 - हम अधिवक्ताओं को अब पुलिस द्वारा पढ़ा लिखा बेवकूफ समझा जाता है जिनको पहले पीट भी लो फिर लॉलीपॉप देकर शांत कर दो क्योंकि उनको पता है कि इनके नेता लोग आयेंगे और चाय पियेंगे और सैट होकर हाथ मिलकर चलते बनेंगे और बाहर जाकर सभी को बताएंगे कि हमारी सभी मांगें मान ली गई है, हमारी जीत हुई है, ले लो लॉलीपॉप, अब इस मामले में भी कम से कम हड़ताल का आह्वान तो होना चाहिए था, एफ.आई.आर. भी केवल एक पुलिसकर्मी के विरुद्ध हुई बाकी वहां उपस्थित सभी दोषियों का क्या हुआ ? क्या किसी पुलिसकर्मी को जेल भेजा गया ? निलंबन से क्या होगा, अभी कुछ दिन बाद इनाम के तौर पर उक्त दरोगा को बहुत बढ़िया थाना दिया जाएगा और जिसकी भनक तक किसी को नहीं लगेगी क्योंकि हम तो पहले की तरह सबकुछ भूल चुके होंगे और अपने अपने कामों में व्यस्त हो चुके होंगे !!!
पूरे प्रदेश की सबसे बड़ी और मजबूत बार हाईकोर्ट बार को तो हम अधिवक्ताओं के मान सम्मान के लिए आगे आना चाहिए, हमको माननीय मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के लिए विवश होना पड़ रहा है कि हमारी याचिका स्वीकार की जाए, हद हो गई यह तो, वैसे तो हमारे मुख्य न्यायाधीश हमारे प्रदेश के मुखिया हैं, हमारे परिवार के भी मुखिया हैं, पर क्या हमारे मुखिया को किसी भी माध्यम से सूचना नहीं मिली होगी उक्त घटना की, क्या उन्होंने अभी तक कोई कार्यवाही की अधिवक्ताओं के लिए, जवाब आयेगा, नहीं !!!
यदि अधिवक्ता जरा सा भी लेट हो जाए कोर्ट में उपस्थित होने में तो केस तुरंत खारिज कर दिया जाता है, लम्बी तारीख डाल दी जाती है, लिस्ट में कर दिया जाता है, तब इनके अंदर बहुत शक्ति आ जाती है क्योंकि इनको पता है अधिवक्ता असहाय है, मन अत्यन्त व्यथित और दुखी है काश कि इस समय अधिवक्ता समाज के लिए कुछ कर सकती तो इन दोषी पुलिस वालों को मैं जवाब देती कि किसी अधिवक्ता के साथ मारपीट करने पर क्या होता है !!! कहना बहुत कुछ है पर कहने से ज्यादा करके दिखाने में विश्वास रखती हूं, समय जरूर आएगा जब अधिवक्ताओं का वह पुराना दौर वापस लाऊंगी, जब कोई भी व्यक्ति किसी भी अधिवक्ता क्या उसके किसी परिवारीजन की तरफ भी देखने तक की हिम्मत नहीं करता था. प्रदेशव्यापी हड़ताल तो होनी चाहिए !!! 

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हरजीत अरोरा, एडवोकेट, सिविल कोर्ट, आगरा

प्रत्याशी, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश

मीडिया पंकज कुमार गुप्ता जालौन उत्तर प्रदेश 

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