*तिरुपति अभिनव होम्स में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य मधुर कृष्ण शास्त्री जी ने दिया आध्यात्मिक संदेश ।

भोपाल तिरुपति अभिनव होम्स में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरी दिन आचार्य मधुर कृष्ण शास्त्री ने सती चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाया।  
ओर मधुर कृष्ण शास्त्री जी ने भागवत कथा से प्रश्न पूछे श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ के भाग उसके बाद उसने का सही जवाब देने वाले को सम्मानित किया गया ।
 आचार्य ने बताया कि जब दक्ष प्रजापति ने अहंकार के वशीभूत होकर कनखल हरिद्वार में बृहस्पति यज्ञ किया तो वहां भोले बाबा को आसान नहीं दिया गया। इसी कारण से उनका पतन हुआ। 
आचार्य ने बताया कि मनुष्य को अहंकार का भाव त्याग कर निर्मल भाव से ईश्वर की भक्ति करना चाहिए। उन्होंने ध्रुव चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि बालक ध्रुव की आयु 5 वर्ष की थी।
 वे भगवान की तपस्या करने निकल गए। 
ध्रुव निर्मल भाव से भगवान श्री हरि को पुकारता रहा। तो भगवान स्वयं चलकर आ गए। 
आचार्य ने बताया कि भगवत भक्ति में अहंकार बिल्कुल नहीं होना चाहिए, मन को पवित्र और निर्मल रखना चाहिए।
 जड़ भरत की कथा का वर्णन सुनाते हुए कहा कि गुरु कृपा के बिना आत्मा का बोध नहीं होता। सदगुरू की शरण में जीव जब जाता है तभी ये चंचल मन स्थिर होता है। 
मधुर जी ने भगवान के नाम की महिमा बताते हुए कहा कि दुराचारी अजामिल ने संतों की कृपा से अन्त समय में अपने बेटे का नाम नारायण लेकर पापों से मुक्त होकर श्री हरि के धाम को चला गया। कथा के दौरान आचार्य मधुर जी के रसीले भजनों पर भक्त गण झूमते नजर आए।
 कथा में भगवान वामन अवतार की प्रस्तुति झांकी द्वारा की गई। परीक्षित गीता-श्रीकांत अवस्थी, परशुराम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष विष्णु राजोरिया, ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी एवं अरुण द्विवेदी ने व्यासपीठ का पूजन किया।
 परीक्षित श्रीकान्त अवस्थी जी ने बताया कल शनिवार को श्री कृष्ण जन्मोत्सव, नन्द महोत्सव में मनमोहक झाकियों की प्रस्तुति होगी।
 सभी भक्तों से अपील की है शनिवार को भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव पर अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर धर्म लाभ प्राप्त करें।

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