देवभूमि उत्तराखंड मूल निवासियों की प्रमुख मांगे
--------------------------
1 ◾️ उत्तराखंड मूल निवास और भूमि कानून स्थानीय जनता की भावनाओं के अनुरूप होना चाहिए। विधानसभा में कानून पारित होने से पूर्व इसके ड्रॉफ्ट के स्वरूप को लेकर सर्वदलीय और संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के साथ सरकार को चर्चा कर सर्वसम्मति से ड्रॉफ्ट तैयार करना चाहिए। आम सहमति के बाद ही विधानसभा में मूल निवास और सशक्त भू-कानून बनने चाहिए।
2 ◾️भू-कानून को लेकर सुभाष कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए।
3 ◾️प्रदेश में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 घोषित की जाए। इसके आधार पर मूल निवासियों को सरकारी और प्राइवेट नौकरियों, ठेकेदारी, सरकारी योजनाओं सहित तमाम संसाधनों में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाय।
4◾️ प्रदेश में मजबूत भू-कानून लागू हो, जिसके तहत निकाय सीमा के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में 100 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू किया जाए तथा इसकी खरीद के लिए 24 वर्ष पहले से उत्तराखंड में रहने की शर्त लागू हो।
5◾️ प्रदेश के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि खरीदने-बेचने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे।
6◾️ राज्य गठन के बाद से 9 नवंबर 2000 से वर्तमान तिथि तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को बेची गई और दान व लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
7◾️- प्रदेश में किसी भी तरह के उद्योग के लिए जमीन को 10 साल की लीज पर दिया जाय। इसके लाभांश में बराबर की हिस्सेदारी जमीन मालिक की तय की जाय और ऐसे सभी उद्यमों में 90 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। जिस उद्योग के लिए जमीन दी गई है, उसका समय-समय पर मूल्यांकन किया जाय। इसी आधार पर लीज आगे बढ़ाई जाय।
8◾️1964 के बाद से भूमि का बंदोबस्त नहीं हुआ है। जल्द भूमि का बंदोबस्त किया जाय। ऐसा न होने से कृषि भूमि, वन भूमि, पंचायती या अन्य जमीनों की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।
9◾️अवैध मलिन बस्तियों को जमीनों का मालिकाना हक बिल्कुल भी न दिया जाय, क्योंकि इसमें लगभग सभी उत्तराखंड क्षेत्र के बाहर से आए हुए लोग हैं।
10# *देवभूमि उत्तराखंड में छलबल धोखे से एवं चालाकी से घुसपैठ कर चुके अतिक्रमण कर चुके एवं अपनी वास्तविक जानकारी एवं पहचान छुपा चुके शरारती तत्वों की उचित प्रकार से पहचान हो किस मकसद से यहां रह रहे हैं इसका भी सत्यापन हो* ।