Ratlam: चुनाव लड़ने के लिए कमलेश्वर डोडियार ने जनता से लिया था चंदा, तीसरे दल के मप्र में एकमात्र विधायक की प्रेरक कहानी

अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित यह सीट भारत आदिवासी पार्टी को उसके प्रत्याशी 33 वर्षीय कमलेश्वर डोडियार ने दिलाई है।

Ratlam: चुनाव लड़ने के लिए कमलेश्वर डोडियार ने जनता से लिया था चंदा, तीसरे दल के मप्र में एकमात्र विधायक की प्रेरक कहानी

अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित यह सीट भारत आदिवासी पार्टी को उसके प्रत्याशी 33 वर्षीय कमलेश्वर डोडियार ने दिलाई है।

HighLights

  1. मजदूर परिवार के बेटे को आंदोलनों से बनी पहचान ने दिलाई जीत
  2. -किसी तीसरे दल के मप्र में एकमात्र विधायक बनने की प्रेरक है कहानी
  3. -चुनाव लड़ने के लिए कमलेश्वर डोडियार ने जनता से लिया था चंदा

रतलाम। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधे हुए मुकाबले में 230 सीटों में से 163 पर भाजपा और 66 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है, लेकिन सिर्फ एक ही सीट ऐसी है, जिस पर इन दोनों दलों के इतर कोई पार्टी जीती है। वह है रतलाम जिले की सैलाना सीट। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित यह सीट भारत आदिवासी पार्टी को उसके प्रत्याशी 33 वर्षीय कमलेश्वर डोडियार ने दिलाई है।

इस तरह वह प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के इतर किसी तीसरे दल से जीतने वाले एकमात्र विधायक बन गए हैं। डोडियार की जीत ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है। वजह यह कि चंदा करके चुनाव लड़ने वाले डोडियार ने कहीं बैनर नहीं लगाया, न ही किसी नेता ने उनके पक्ष में कोई सभा की।

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सिर्फ दूरस्थ गांवों में डगर-डगर घूमकर जनता से सीधा संपर्क के साथ ही इंटरनेट मीडिया के मंच- फेसबुक और वाट्सएप के माध्यम से प्रचार कर उन्होंने अपनी जमीन तैयार कर ली। इस सीट पर कुल 10 उम्मीदवारों के बीच कांग्रेस दूसरे और भाजपा तीसरे नंबर पर रही। शेष सात उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

सैलाना तहसील के ग्राम राधाकुआं के कच्चे घर में रहने वाले वनवासी मजदूर परिवार में जन्मे कमलेश्वर डोडियार स्नातक की पढ़ाई के साथ ही राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्होंने बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की। पीड़ित लोगों के हक की लड़ाई लड़ना शुरू कर जयस (जय आदिवासी युवा संगठन) बनाया।

धीरे-धीरे जयस आदिवासी क्षेत्रों में एक बड़ा सामाजिक संगठन बन गया। 2018 के विधानसभा चुनाव में डोडियार पहली बार सैलाना सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए और 18726 मत प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे। इसके बाद क्षेत्र में अपनी सक्रियता और बढ़ा दी।


नौतरा कार्यक्रम करके जुटाए दो लाख

चुनाव लड़ने के लिए अपनी जेब से खर्च वहन करने की कमलेश्वर डोडियार की स्थिति नहीं थी, इसलिए उन्होंने बगैर शोरगुल के प्रचार शुरू किया और दूसरों से चंदा करके चुनाव लड़ा। उनके पिता ओंकारलाल डोडियार के दोनों हाथों में फ्रेक्चर है, इसके कारण वह कोई काम नहीं कर पाते हैं। मां सीताबाई दिहाड़ी मजदूरी करती हैं।

कमलेश्वर ने भी मकान निर्माण कार्य में मजदूरी करने के साथ ही अपनी पढ़ाई के दौरान साइकिल पर टिफिन वितरण का भी काम किया है। आदिवासी परंपरा के अनुसार कमलेश्वर ने नौतरा कार्यक्रम करके करीब दो लाख रुपये एकत्र किए और उससे जुटाए पैसे को चुनाव में खर्च किया।

मतदान समाप्त होने के बाद उन्होंने क्षेत्र की जनता से लिए चंदे के खर्च को ब्योरा भी सार्वजनिक किया। कमलेश्वर कहते हैं कि उनके खिलाफ 18 आपराधिक मामले झूठे दर्ज कराए गए, दो में वह बरी हो चुके हैं।

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