आसान नहीं है गलियाकोट का सफर, 60 KM चलना होता है कच्चे राष्ट्रीय राजमार्ग 927A पर।


परतापुर। राजस्थान के डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा तहसील के एक गांव गलियाकोट में स्थित है बोहरा समाज की सबसे बड़ी दरगाह "मजा़र - ए - फखरी"। यह दरगाह सैय्यदी फखरुद्दीन शाहिद साहब की कब्र पर बनाई गई है जिनके दरबार में जाने मात्र से ही परेशानियां दूर हो जाती है। गलियाकोट में वर्ष भर में लाखों श्रद्धालु जियारत के लिए पहुंचते है और लगभग हर वर्ष उर्स पर दाऊदी बोहरा समाज के धर्मगुरु सैय्यदना आली क़दर मुफद्दल सैफुद्दीन साहब भी यहां तशरीफ लाते हैं।

गौरतलब है की गलियाकोट तीन दिशाओं से तो एक मात्र मार्ग नेशनल हाईवे 927A के द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग स्वरूपगंज से शुरू होकर कोटरा, खेरवाड़ा, डूंगरपुर, सागवाड़ा, परतापुर, बांसवाड़ा होते हुए रतलाम पहुंचता है। सागवाड़ा जो की गलियाकोट पहुंचने के लिए अहम स्थान है, वहां पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 927A एक मात्र रास्ता।

मुद्दे की बात यह है की इस रास्ते की हालत कई वर्षों से खस्ता हाल है, न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार का इस और कभी ध्यान गया है ना ही स्थानीय नेताओं का। ऊपर चित्र में जो दृश्य दिखाया गया है वो परतापुर शहर के बीचों बीच से गुजर रहे इस राजमार्ग का है जिसमें साफ साफ दिखाई पड़ता है कि यहां पक्की सड़क का कोई नामों निशान ही नहीं है। कई बार इस राष्ट्रीय राजमार्ग को लेकर मुद्दे उठाए गए लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।

गलियाकोट पहुंचने के लिए राहगीरों को लगभग 60 किलोमीटर इसी कच्चे राजमार्ग पर गुजरना होता है जो की यात्रा को लंबा और थका देने वाला बनाता है।
बोहरा समाज के प्रतिनिधियों ने सरकार से अपील की है की इस सड़क का जल्द से जल्द निर्माण कराया जाए ताकि यह आने वाले श्रद्धालुओं को इस पीढ़ा से मुक्ति मिल सके।

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